पहल में विलंब और पत्रों में खामियां लचर व्यवस्था की खोल गया पोलपट्टी
Madhepura:भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में पिछले साल उनतीस नवंबर को जारी छात्रसंघ चुनाव की घोषणा एक बार फिर जुमला साबित होता नजर आ रहा है।इस संबंध में वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कुलपति को पत्र लिख जहां विश्वविद्यालय में छात्रसंघ से जुड़ी गतिविधियों पर सवाल खड़ा किया है वहीं कहा है कि ऐसे में चुनाव कैसे संभव होगा।राठौर ने कहा है कि उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा अधिसूचना जारी होने के समय ही पत्र लिख अधिसूचना पर सवाल उठाया था और कहा था यह खामियों से भरा है जिसमें सबसे बड़ा विवाद यह था उसका सत्र क्या होगा। बारह मार्च को जब चुनाव और घोषणा होगी तो उस निर्वाचित टीम का कार्यकाल महज एक से दो महीने का होगा फिर चुनाव का क्या फायदा।अब जबकि प्रक्रिया पिछले साल दिसंबर माह में निर्धारित तिथि को मतदाता सूची प्रकाशन की बात तो दूर चार दिन पहले ही सूची तैयार करने का पत्र लिखा गया है तब तो यह भी तय हो गया कि छात्र संघ चुनाव समय पर होने से रहा।क्योंकि जब तय तिथि से एक माह अधिक होने को है और प्रक्रिया शुरू भी नहीं हुई है तब तो यह तय हो गया है कि चुनाव होने की स्थिति तक सत्र ही खत्म हो जाएगा।वैसे भी आनन फानन में जारी अधिसूचना में छात्र संघ चुनाव 2024 दर्शाई गई थी और मतदान और मतगणना 2025 में दिखाया गया था जिसका खूब मजाक भी बना था।
जारी पत्रों ने लापरवाही और अनुभवहीनता की खोली पोल:दिसंबर में मतदाता सूची जारी करने की जगह दो जनवरी को सूची बनाने हेतु जारी पत्र जहां विश्वविद्यालय की लेट लतीफी को दिखा गया वहीं अध्यक्ष ,छात्र कल्याण के हस्ताक्षर से जारी पत्र में क्रम संख्या एक में ही अंतर स्नातक यानि इंटर के छात्रों की सूची बनाने का निर्देश पीएचडी का उल्लेख नहीं हास्यास्पद रहा,क्योंकि कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई पर रोक है और वो वोटर भी नहीं हो सकते जबकि पीएचडी शोधार्थी वोटर और प्रतिनिधि बनते हैं।उसके बाद नौ जनवरी को जारी संशोधित पत्र में अंतर स्नातक को हटा पीएचडी को जोड़ा गया है।एक ओर लेट लतीफी और दूसरी ओर पत्र में नियमों की उड़ी धज्जियां विश्वविद्यालय जैसी संस्था को शोभा नहीं देती।
लिखे पत्र में राठौर ने कहा है कि पहले छात्र संघ चुनाव के लिए बीएनएमयू प्रशासन ने छात्रों को छब्बीस साल का इंतजार कराया था तब उम्मीद जगी थी कि अब हर साल चुनाव हो सकेगा लेकिन उसके बाद दूसरे छात्र संघ चुनाव की तिथि जारी करने में विश्वविद्यालय ने छह साल का समय लगाया लेकिन विश्वविद्यालय की कार्यशैली देखकर फिलहाल तो ऐसा इस बार भी संभावना कम नजर आ रही है क्योंकि जब ऐसी लापरवाही से तैयारी होगी तब प्रक्रिया पूरी होने से पहले आचार संहिता लगने का समय आ जाएगा।और के माध्यम से एआईवाईएफ जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कुलपति से मांग किया है कि विश्वविद्यालय इस बात की गारंटी करें की जो भी नोटिस निकले वो गंभीरता पूर्वक निकले खामियों से विश्वविद्यालय की किरकिरी होती है।वहीं राठौर ने तैयारी में तेजी लाते हुए निर्धारित समय पर चुनाव करवाने का आग्रह किया है।