बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने स्पष्ट किया है कि केवल मोबाइल लोकेशन के आधार पर किसी आरोपी का नाम किसी केस से हटाना अब संभव नहीं होगा। इस प्रक्रिया के लिए अब डीआइजी या आइजी से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। यह निर्णय राज्य में न्यायिक प्रक्रियाओं को और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से लिया गया है।
डीजीपी के निर्देश में कहा गया है कि मोबाइल एक ऐसी वस्तु है जिसे व्यक्ति अपने शरीर से अलग रख सकता है। ऐसी स्थिति में यह संभव है कि आरोपी किसी अन्य स्थान पर अपने मोबाइल को छोड़कर अपराध को अंजाम दे। कई ऐसे मामले मुख्यालय के समक्ष आए हैं। जहां अभियुक्त ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर अपने पक्ष में निर्णय लिया। लेकिन अब केवल मोबाइल लोकेशन यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि आरोपी घटना के समय घटनास्थल पर मौजूद नहीं था।
अगर किसी अभियुक्त को अपनी निर्दोषता का साक्ष्य प्रस्तुत करना हो तो उसे सुपरविजन अधिकारी के सामने पेश करना होगा। अधिकारी साक्ष्य का मूल्यांकन करेंगे और एसपी के माध्यम से इसे अंतिम निर्णय के लिए डीआइजी के पास भेजेंगे। डीआइजी को ऐसे मामलों पर एसपी की अनुशंसा पर 7 दिनों के भीतर निर्णय लेना होगा। यह निर्णय इस आधार पर किया जाएगा कि प्रस्तुत साक्ष्य कितने संतोषजनक हैं।
यह आदेश विशेष रूप से उन मामलों पर लागू होगा जहां आरोपी अपनी लोकेशन के आधार पर खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश करता है। इस बदलाव से जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और अपराधियों को झूठे साक्ष्य के माध्यम से बचने का मौका नहीं मिलेगा।
राज्य के सभी वरीय पुलिस अधीक्षकों और पुलिस अधीक्षकों को इस नए प्रोटोकॉल का पालन करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। इस नए प्रावधान के लागू होने से साक्ष्यों की गहन जांच सुनिश्चित होगी। अभियुक्तों द्वारा झूठे दावे करने की संभावना कम होगी। निर्दोष लोगों को गलत तरीके से फंसाए जाने की संभावना कम होगी।
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