महाकुंभ 2025 में संगम स्नान का विशेष महत्व है। इस पवित्र अवसर पर लाखों श्रद्धालु मौनी अमावस्या के दिन संगम तट पर डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करते हैं। इस दिन स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। यहां हम संगम स्नान की विधि और इस दौरान ध्यान रखने योग्य जरूरी बातों की जानकारी देंगे।
संगम स्नान की विधि
- स्नान से पहले प्रार्थना करें:
- स्नान से पहले गंगा, यमुना, और सरस्वती को नमन करें।
- त्रिवेणी संगम पर मां गंगा और यमुना का आवाहन कर श्रद्धा व्यक्त करें।
- पवित्र डुबकी लगाएं:
- स्नान के दौरान तीन बार डुबकी लगाएं।
- हर डुबकी के साथ भगवान का नाम जपें, जैसे “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ ह्रीं गंगायै नमः।”
- दान और तर्पण:
- स्नान के बाद अपने पितरों के लिए तर्पण करें।
- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या धन का दान करें।
- सात्विक भोजन:
-
- स्नान के बाद व्रत रखें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
-
मौनी अमावस्या पर ध्यान रखने योग्य बातें
- मौन व्रत का पालन करें:
- मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर ईश्वर का ध्यान करें।
- मौन रहना आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है।
- भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा:
-
- कुंभ मेले में भीड़ बहुत अधिक होती है। इसलिए स्नान करते समय अपने समूह के साथ रहें और प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें।
-
- स्वच्छता और पर्यावरण:
-
- संगम तट पर सफाई का ध्यान रखें। कचरा नदी में न डालें और अन्य श्रद्धालुओं को भी प्रेरित करें।
-
- महत्वपूर्ण वस्तुएं संभालकर रखें:
-
- भीड़भाड़ वाले स्थानों पर अपनी आवश्यक वस्तुओं, जैसे मोबाइल, पैसे, और पहचान पत्र को सुरक्षित रखें।
-
संगम स्नान का महत्व
- संगम स्नान से पापों का नाश होता है और जीवन में शुद्धि आती है।
- मौनी अमावस्या पर किए गए स्नान और दान को कई गुना पुण्यकारी माना गया है।
- यह दिन ध्यान, साधना, और आत्म-चिंतन के लिए सर्वोत्तम है।