बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। अब सूबे के सभी 1.5 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों में फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRS) के माध्यम से पोषाहार वितरण की नई व्यवस्था लागू की जा रही है। अप्रैल 2025 से यह प्रणाली प्रभावी होगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पोषाहार सही लाभुक तक पहुँचे और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना न रहे। इस तकनीक के माध्यम से एक करोड़ 5 लाख बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति कुपोषित लड़कियों को लाभ मिलेगा।
कैसे काम करेगा FRS सिस्टम? समाज कल्याण विभाग के समेकित बाल विकास परियोजना निदेशालय (ICDS) द्वारा विकसित इस सिस्टम को पोषण ट्रैकर एप से जोड़ा जाएगा। इसमें प्रत्येक लाभुक का चेहरा स्कैन किया जाएगा और आधार लिंक के माध्यम से उनकी पहचान की पुष्टि होगी। इसके बाद ही उन्हें नियमानुसार पोषाहार दिया जाएगा।
पोषाहार वितरण में पारदर्शिताः अब तक पोषाहार वितरण में कई गड़बड़ियों की शिकायतें आती थीं, जिनमें बेनामी लाभुकों के नाम पर पोषाहार उठाने की बातें सामने आई थीं। FRS लागू होने से यह समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। क्योंकि केवल वे ही लाभुक पोषाहार प्राप्त कर पाएंगे, जो व्यक्तिगत रूप से केंद्र पर उपस्थित होंगे।
पोषाहार वितरण का नया ढांचाः 6 वर्ष तक के बच्चों को प्रतिदिन ताजा, पका हुआ भोजन मिलेगा। बुधवार और शुक्रवार को प्रत्येक बच्चे को एक-एक अंडा मिलेगा। मंगलवार और गुरुवार को दूध दिया जाएगा।
नई प्रणाली लागू करने के पीछे का उद्देश्यः महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पोषण ट्रैकर के माध्यम से पोषाहार वितरण की सटीक निगरानी की योजना बनाई है। नवंबर 2024 में मंत्रालय के सचिव अनिल मलिक ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजकर इस व्यवस्था को लागू करने का निर्देश दिया था।
क्या होंगे इसके लाभ? पोषाहार वितरण में पारदर्शिता और विश्वसनीयता आएगी। नकली लाभुकों पर रोक लगेगी। सरकारी योजनाओं का वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुँचेगा। बच्चों और गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य सुधार देखा जा सकेगा।
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