बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। पिछले आठ महीनों से नालंदा जिला उपभोक्ता आयोग बिना स्थायी अध्यक्ष (Big Problem) के कार्य कर रहा है। जिससे आयोग की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है। वर्तमान में प्रभारी अध्यक्ष को नालंदा, लखीसराय और शेखपुरा तीन जिलों के उपभोक्ता आयोगों की जिम्मेदारी संभालनी पड़ रही है। इसके चलते मामलों के निष्पादन की गति धीमी हो गई है। जिससे उपभोक्ताओं को लंबे समय तक न्याय के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
स्थायी अध्यक्ष की अनुपस्थिति और उपभोक्ता जागरूकता की कमी के कारण बीते छह महीनों में आयोग में दर्ज मामलों की संख्या में भारी गिरावट आई है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 लागू होने के बाद आयोग की शक्ति और कार्यक्षेत्र बढ़ा है। लेकिन जागरूकता के अभाव में उपभोक्ताओं द्वारा शिकायत दर्ज कराने की गति धीमी हो गई है।
पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मासिक औसत मात्र आठ मामले आयोग तक पहुँच रहे हैं, जो लंबित मामलों में गिरावट का संकेत देता है। लेकिन यह स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती। क्योंकि जागरूकता की कमी के कारण उपभोक्ता अपने अधिकारों का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
उपभोक्ता मामलों के निपटारे में हो रही देरी और न्याय प्रक्रिया की धीमी गति के पीछे कई कारण हैं। स्थायी अध्यक्ष की अनुपस्थिति से मामलों का निपटान देरी से हो रहा है। जागरूकता अभियान की कमी से लोग उपभोक्ता आयोग का लाभ उठाने से वंचित रह रहे हैं। दुकानदारों और सेवा प्रदाताओं द्वारा रसीद नहीं देने की प्रवृत्ति से उपभोक्ता साक्ष्य के अभाव में शिकायत दर्ज नहीं कर पाते।
यहां अब तक 4387 मामलों में से 3785 मामलों का निपटारा किया जा चुका है। जबकि 602 मामले दिसंबर 2024 तक लंबित हैं। इनमें से 37 मामले पांच वर्षों से अधिक समय से लंबित हैं। यह तब है जब उपभोक्ता आयोग का अधिकार क्षेत्र और शक्ति बढ़ा दी गई है।
जबकि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 के तहत नए प्रावधान बनाए गए हैं। इस अधिनियम के लागू होने के बाद उपभोक्ता आयोग की शक्तियां विस्तारित कर दी गई हैं।
अब जिला उपभोक्ता आयोग एक करोड़ रुपये तक की धोखाधड़ी के मामलों की सुनवाई कर सकता है। ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। मध्यस्थता विकल्प के तहत विवादों को सुलझाने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। भ्रामक विज्ञापनों पर प्रतिबंध और दोषी पाए जाने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
हालांकि न्याय प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाने के लिए स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति अत्यंत आवश्यक है। साथ ही उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाने की जरूरत है। ताकि अधिक से अधिक लोग उपभोक्ता आयोग की सेवाओं का लाभ उठा सकें।
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