बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। निजी स्कूलों द्वारा नियमों की अनदेखी कर बच्चों को असुरक्षित वाहनों में ठूंसकर स्कूल लाने-ले जाने की प्रवृत्ति पर परिवहन विभाग ने सख्त कदम उठाने की तैयारी कर ली है। इसके तहत स्कूल वाहन परिचालन विनियमन अधिनियम 2020 को सख्ती से लागू करने की योजना बनाई गई है।
परिवहन विभाग ने निर्णय लिया है कि निजी स्कूलों के वाहनों की सुरक्षा जांच की जाएगी। इसमें परमिट, फिटनेस, पॉल्यूशन, इंश्योरेंस, स्पीड गर्वनर, वीएलटीडी (व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस) सहित अन्य मानकों की जांच की जाएगी। विभाग द्वारा जांच में कमी पाए जाने पर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।
अधिकांश स्कूल बसों में मानकों से अधिक बच्चों को ठूंसा जाता है। नियमानुसार, सीट क्षमता के अनुपात में बच्चों को बैठाया जाना चाहिए, लेकिन कई बसों में एक सीट पर तीन-तीन बच्चों को बैठाया जाता है, जिससे सुरक्षा जोखिम बढ़ जाता है। परिवहन विभाग ने सभी जिलों से एक सप्ताह के भीतर स्कूल वाहनों की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है।
सभी निजी स्कूलों को अपने वाहनों से संबंधित 19 बिंदुओं पर रिपोर्ट गूगल शीट पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया है। अगर किसी स्कूल में छात्रों के आवागमन के लिए वाहन का प्रयोग नहीं किया जाता, तो उन्हें शीट में नो अंकित करना होगा।
नालंदा जिले में कुल 757 निबंधित निजी स्कूल संचालित हैं, लेकिन अब तक केवल 125 स्कूलों ने ही अपनी वाहन संबंधित जानकारी गूगल शीट पर अपलोड की है। विभाग लगातार पत्र और व्हाट्सएप के माध्यम से सभी स्कूलों को निर्देश भेज रहा है, लेकिन कई स्कूल अभी भी आदेश की अवहेलना कर रहे हैं।
परिवहन विभाग स्कूली वाहनों की रैंडम जांच करेगा, जिसमें फिटनेस, निबंधन, इंश्योरेंस और चालकों की दक्षता की जांच शामिल होगी। इसके लिए एक विशेष टीम का गठन किया जा रहा है, जो स्कूलों में जाकर वाहनों की स्थिति का निरीक्षण करेगी।
बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है और इसके लिए सरकार अब सख्त कदम उठा रही है। अब देखना है कि यह अभियान निजी स्कूलों में कितनी सख्ती से लागू होता है और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में कितना प्रभावी साबित होता है।
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