न्यूज़ विज़न। बक्सर
सदर प्रखण्ड के हनुमत धाम कमरपुर गाँव में आयोजित 17वें सद्गुरुदेव पुण्य स्मृति महोत्सव के अंतिम दिन भंडारे के साथ सम्पन्न हो गया। वाराणसी से पधारे संत श्री हयग्रीवाचार्य जी ने पूज्य मामाजी के प्रणाली से पदों का गान किया।
मंगल आजु जनकपुर घर घर मंगल हे,। आजु सियाजू की व्याह की लगनिया हे सखि घर घर मंगल बाजन बाजे घनघोर हे सखि घर घर मंगल। द्वारपूजन पर चारो दुल्हा की झाकी का वर्णन करते हुए कहा कि घोड़वा छमकावत आवे सांवला पहुनवा हे सखि देखु ना एक भैया सांवर एक गोर। खाकी बाबा सरकार को याद करते हुए कहा कि भक्ति का मूल भाव है। भाव से भगवान् मिलते हैं। प्रसंग बढाते हुए कहा कि सखि द्वारे लगि बरियात सजन को स्वागत करो। मंडप में व्याह विधान के लिए चारों भाइयों को आसन पर बैठाया गया। सखियों ने पहले लौकिक रीति करवाया। इसमें दुल्हा से धान कुट्टी विधान और नहछु का गीत गाया। नोह काटु रे नऊनिया सुमंगल घरी। वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि अयिसन दुल्हा ना देखनी नगर में।
मिथिला नगर के नर अरू नारी चर्चा करत घर घर में। इसके बाद मणि के मंडप में विराजत जनक ऋषि रानी सुनयना लिए साथ हे। पद पखारन विधि का गीत गाया गया। भांवरी और सिंदूर दान के विधान का गीत गाया गया। इसके साथ ही साथ पूज्य मामाजी के चरण पादुका का विधिवत अर्चन वंदन श्रीराम चरित दास जी महाराज के कर कमलों द्वारा किया गया। साथ में मामाजी और महात्मा जी के हजारों शिष्यो ने भी चरण पादुका पूजन किया। कथा पूर्णाहुति के साथ भव्य भंडारा का आयोजन किया गया जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। दूर दूर से आये हुए संतों की विदाई की गयी।