वैकुण्ठ एकादशी हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है, जिसे भगवान विष्णु की उपासना के लिए खास तौर पर मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति और मोक्ष के लिए माना जाता है। इस दिन भक्तों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है।
वैकुण्ठ एकादशी 2025 की तिथि:
- तिथि: 9 जनवरी 2025
- व्रत का दिन: शुक्रवार
- समय: यह व्रत एकादशी तिथि की रात में किया जाता है, विशेष रूप से वैकुण्ठ द्वार के दर्शन के लिए।
वैकुण्ठ एकादशी क्यों मनाई जाती है?
- भगवान विष्णु की आराधना:
- यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। भक्त इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं।
- वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति:
- माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के दर्शन से भक्तों को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होती है और उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
- मोक्ष की प्राप्ति:
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष का मार्ग मिलता है और वह जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
- विशेष महत्व:
- यह एकादशी व्रत विशेष रूप से वैकुण्ठ द्वार के खुलने के रूप में मनाई जाती है, जिसके द्वारा भक्त भगवान के दिव्य लोक में प्रवेश करने का वरदान प्राप्त करते हैं।
वैकुण्ठ एकादशी का महत्व और पूजा विधि:
- पूजा विधि:
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा शुद्धता और श्रद्धा के साथ करनी चाहिए।
- भक्त विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करते हैं और श्रीराम या श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करते हैं।
- विशेष रूप से पानी और फलाहार का सेवन किया जाता है।
- व्रत के लाभ:
- पापों का नाश होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- मनुष्य के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
शुभ मुहूर्त:
- प्रारंभ: 9 जनवरी 2025 को प्रातः काल
- समाप्ति: 10 जनवरी 2025 को सुबह तक
निष्कर्ष:
वैकुण्ठ एकादशी का दिन भगवान विष्णु की उपासना का सबसे महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन विशेष पूजा और व्रत से भक्तों को भगवान के आशीर्वाद के साथ मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन विशेष रूप से धार्मिक और मानसिक शांति का प्रतीक माना जाता है, और इसका पालन करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।