📍 दरभंगा | महिला सशक्तिकरण केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक क्रांति है, और इस परिवर्तन की अग्रदूत बनी हैं डॉ. ऋचा गार्गी। बतौर जिला परियोजना प्रबंधक (DPM), जीविका, उन्होंने ग्रामीण बिहार की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल
✅ महिलाओं को संगठित कर बनाया आत्मनिर्भर
✅ आर्थिक रूप से सशक्त कर दिया नई पहचान
✅ स्वरोजगार, कृषि, कुटीर उद्योग से जोड़ा
✅ शौचालय निर्माण, स्वास्थ्य, शिक्षा पर जागरूकता अभियान
वित्तीय योजनाओं से जोड़ा, ‘दीदी की रसोई’ की शुरुआत
➡️ बिहार सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूहों (SHG) को मजबूत कर ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक सहायता दी गई।
➡️ महिलाएँ मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, जैविक खेती, सिलाई, अगरबत्ती निर्माण जैसे कार्यों में लगीं।
➡️ दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (DMCH) में ‘दीदी की रसोई’ की शुरुआत हुई, जिससे सैकड़ों महिलाओं को स्थायी रोजगार मिला।
महिला सशक्तिकरण के लिए प्रशासनिक सम्मान
🏆 ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने पटना में किया सम्मानित
🏆 पूर्व जीविका सीईओ बालामुरुगन डी. ने भी सराहा
महिलाओं को योजनाओं से किया लाभान्वित
🔹 प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY), स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया से जोड़ा।
🔹 40,000+ स्वयं सहायता समूह (SHG) बनाए, जिनसे 5 लाख से अधिक महिलाएँ जुड़ीं।
🔹 बैंकिंग सेवाओं और छोटे ऋणों के जरिए उद्यमिता को बढ़ावा दिया।
➡️ डॉ. ऋचा गार्गी का योगदान दिखाता है कि सही मार्गदर्शन और आत्मविश्वास से महिलाएँ किसी भी चुनौती को पार कर सकती हैं।
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