दरभंगा में ‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम की हुई शानदार शुरुआत, बच्चों को सुरक्षित रखने पर जोर
📍 रिपोर्ट: शमशाद | दरभंगा लाइव न्यूज़
दरभंगा, 09 मार्च 2025 – 0 से 5 साल तक के बच्चों को डायरिया से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग, सहयोगी संस्था पॉपुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया (PSI-India) और केनव्यू के सहयोग से “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इस अभियान के तहत बिहार के तीन जिलों – दरभंगा, सुपौल और पूर्णिया में विशेष स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी और लोगों को जागरूक किया जाएगा।

दरभंगा में कार्यशाला आयोजित, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दी अहम जानकारियां
स्वास्थ्य और आईसीडीएस अधिकारियों समेत अन्य स्वास्थ्य संस्थाओं के सहयोग से दरभंगा के एक निजी होटल में एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यक्रम का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ. अरुण कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया, जिसमें आईएमए, पीएसआई, सभी प्रखंड और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं अन्य स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित रहे।

डायरिया से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी
सिविल सर्जन डॉ. अरुण कुमार ने कहा,
“डायरिया की रोकथाम के लिए लोगों में जागरूकता और सही समय पर चिकित्सकीय सहायता जरूरी है। सरकारी और निजी दोनों चिकित्सकों को मरीजों को जागरूक करना चाहिए।”
उन्होंने बताया कि डायरिया के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज किए बिना तुरंत नजदीकी अस्पताल में उपचार कराना चाहिए।
डायरिया से बचाव के लिए ये उपाय अपनाएं
✅ ओआरएस और जिंक टैबलेट का सेवन करें
✅ बच्चों को स्तनपान कराना सुनिश्चित करें
✅ स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें
✅ समय पर चिकित्सीय सहायता लें

ग्राम चौपालों के माध्यम से बढ़ेगी जागरूकता
सिविल सर्जन ने बताया कि ग्राम चौपालों के माध्यम से गांव-गांव जाकर लोगों को डायरिया से बचाव के उपाय बताए जाएंगे।
इसके अलावा आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और महिला आरोग्य समिति के सदस्यों को प्रशिक्षित कर डायरिया की सही पहचान, बचाव और ओआरएस के महत्व पर जानकारी दी जाएगी।
डायरिया उन्मूलन के लिए ‘टीचर्स एंड डॉक्टर्स ग्रुप’ होगा तैयार
प्रतिक्षण पदाधिकारी डॉ. एके मिश्रा ने सुझाव दिया कि शिक्षकों और चिकित्सकों का एक ग्रुप तैयार किया जाए, जिससे लोगों को डायरिया से बचाव और उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं की सही जानकारी आसानी से मिल सके।
स्वास्थ्य कर्मियों को दिया गया विशेष प्रशिक्षण
एनसीडीओ डॉ. सत्येंद्र कुमार ने बताया कि डायरिया के इलाज में ओआरएस और जिंक की अहम भूमिका होती है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को डायरिया होने पर खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए और स्तनपान जारी रखना चाहिए।
उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जिलों में चलेगा यह कार्यक्रम
📌 यह विशेष अभियान उत्तर प्रदेश के 7 जिलों और बिहार के 3 जिलों – दरभंगा, सुपौल और पूर्णिया में चलाया जाएगा।
📌 मीडिया के हर प्लेटफार्म का उपयोग कर डायरिया के लक्षण, कारण और नियंत्रण के बारे में जागरूकता फैलाई जाएगी।

‘डायरिया से डर नहीं’ अभियान में जीविका की अहम भूमिका
कार्यशाला में मौजूद जीविका कर्मियों को भी इस अभियान से जोड़ा गया। जीविका के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में डायरिया से बचाव के लिए स्वास्थ्य केंद्रों की सुविधाओं की जानकारी दी जाएगी और लोगों को ओआरएस घोल और जिंक टैबलेट उपलब्ध कराने में सहायता की जाएगी।
कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख अधिकारी एवं विशेषज्ञ
कार्यशाला में पीएसआई के जिला कार्यक्रम मैनेजर सुमित कुमार, जिला कार्यक्रम प्रबंधक शैलेश चंद्रा, डीसीएम रवि कुमार, एनसीडी कंसल्टेंट इंद्रजीत कुमार, यूनिसेफ, चाय, यूएनडीपी, पिरामल के डिस्ट्रिक्ट लीड संजीव कुमार और सीफार के डिवीजनल कोऑर्डिनेटर अमन कुमार सहित कई अन्य अधिकारी और स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहे।
समाप्ति:
इस कार्यशाला में डायरिया से बचाव और इसके रोकथाम पर विस्तार से चर्चा की गई। अधिकारियों ने संकल्प लिया कि हर संभव माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा, ताकि कोई भी बच्चा डायरिया जैसी बीमारी से प्रभावित न हो।

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