बिहार में स्कूली बच्चों को स्कूल ले जाने और लाने के लिए अब दोबारा ऑटो रिक्शा का इस्तेमाल किया जा सकेगा। एडीजी ट्रैफिक सुधांशु कुमार और ऑटो रिक्शा संघ के बीच हाल ही में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। हालांकि, ई-रिक्शा से बच्चों की ढुलाई पर अब भी प्रतिबंध जारी रहेगा।
सख्त शर्तों के साथ मिली अनुमति
ऑटो चालकों को कुछ सुरक्षा मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा:
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जून 2025 तक सभी ऑटो में GPS ट्रैकर लगाना जरूरी।
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ऑटो का गेट बंद रखना अनिवार्य।
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बच्चों की सुरक्षा के लिए निरंतर निगरानी की जाएगी।
ऑटो चालक संघ यह सुनिश्चित कर रहा है कि जीपीएस डिवाइस किफायती हो, जिससे चालकों पर आर्थिक बोझ न बढ़े।
बैन के बाद बढ़ी थी परेशानी
1 अप्रैल 2025 से बिहार में ऑटो और ई-रिक्शा से बच्चों को लाने-ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके पीछे दो बड़े कारण थे:
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क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाना।
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सुरक्षा मानकों की अनदेखी।
प्रतिबंध के बाद बच्चों और अभिभावकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। निजी साधनों पर निर्भरता बढ़ी और यात्रा खर्च भी बढ़ा।
ऑटो चालकों और अभिभावकों की मांग पर बदला फैसला
बढ़ती समस्याओं के बाद, ट्रैफिक विभाग ने 9 अप्रैल तक कार्रवाई स्थगित कर दी और ऑटो चालकों के साथ बैठक कर सैद्धांतिक सहमति दी। अब ऑटो चालकों को तय मानकों का पालन करने की शर्त पर बच्चों को लाने-ले जाने की अनुमति दी गई है।
कॉन्वेंट स्कूलों में ऑटो की सबसे ज्यादा जरूरत
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कॉन्वेंट स्कूलों में नियम है कि छात्र स्कूल से 2 किलोमीटर के दायरे में हों।
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कई बार अभिभावक दूर का पता देकर बच्चों का एडमिशन कराते हैं, जिससे ऑटो की मांग बढ़ती है।
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ऐसी स्थिति में ऑटो ही एकमात्र विकल्प बन जाता है।
पटना ऑटो संघ का बयान
पटना जिला ऑटो रिक्शा चालक संघ के अध्यक्ष पप्पू यादव ने बताया:
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सरकार की ओर से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है।
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सभी चालक सुरक्षा मानकों का पालन करने को तैयार हैं।
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जीपीएस ट्रैकर लगाना और गेट बंद रखना सबसे जरूरी शर्त है।
निष्कर्ष : सुरक्षित और सुविधाजनक
बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सरकार ने एक संतुलित कदम उठाया है। अब जरूरत है कि ऑटो चालक, अभिभावक और प्रशासन मिलकर तय मानकों का पालन करें ताकि बच्चों का सफर सुरक्षित और सुविधाजनक रहे।