पटना | बिहार की अपराध दर (Crime Rate) अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम है। राज्य पुलिस मुख्यालय ने आंकड़े जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि अपराध के मामलों में दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई हो रही है।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा एक्स (X) पर पोस्ट की गई 76 आपराधिक घटनाओं में से पुलिस मुख्यालय ने 46 घटनाओं की पहचान कर ली है और कार्रवाई की पूरी जानकारी दी है।
Bihar Police का पक्ष: 46 घटनाओं में 112 दोषी गिरफ्तार
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पुलिस ने कहा कि पोस्ट में दी गईं अधिकांश घटनाएं वर्ष 2025 में जनवरी से अब तक की हैं।
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कुछ घटनाओं में तिथि और थाना का जिक्र नहीं था, इसलिए 46 घटनाओं की पहचान हो सकी।
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इन मामलों में अब तक 112 दोषियों की गिरफ्तारी कर उन्हें जेल भेजा गया है।
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पुलिस ने कहा कि इस तरह की असत्यापित पोस्टिंग से पुलिस बल के मनोबल पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
किन कारणों से हो रही हैं अधिकांश घटनाएं?
पुलिस के अनुसार, नेता प्रतिपक्ष द्वारा बताई गई घटनाओं का अधिकांश हिस्सा छोटे विवादों से संबंधित है, जैसे:
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रुपये का लेनदेन
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बच्चों की आपसी लड़ाई
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पुराने आपसी विवाद
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भूमि विवाद
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प्रेम प्रसंग और मोबाइल लेनदेन
Bihar में अपराध दर के राष्ट्रीय आंकड़े
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हत्या के मामलों में बिहार का स्थान 14वां है (NCRB के अनुसार)।
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2019 से 2021 तक बिहार में हत्या की दर क्रमशः 2.6, 2.6 और 2.3 रही।
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2022 में भी हत्या की दर 2.3 पर स्थिर रही।
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संज्ञेय अपराध (Cognizable Crime) की दर बिहार में 277.1 प्रति लाख जनसंख्या है, जबकि राष्ट्रीय औसत 422.2 है।
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इस आधार पर बिहार का देश में 19वां स्थान है।
व्यक्तिगत विवादों से जुड़े अपराधों का विश्लेषण
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2021: 2799 कुल घटनाओं में से 1952 (69.73%) व्यक्तिगत विवादों से।
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2022: 2930 में से 2087 घटनाएं (71.20%)।
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2023: 2862 में से 2109 घटनाएं (73.69%)।
यह आंकड़े बताते हैं कि बिहार में अधिकतर आपराधिक घटनाएं व्यक्तिगत दुश्मनी या परिवारिक विवादों से जुड़ी होती हैं, न कि संगठित अपराध से।
Bihar बनाम अन्य बड़े राज्यों में अपराध दर
राज्य | अपराध दर (2022) |
---|---|
केरल | 1274.8 |
हरियाणा | 810.4 |
तमिलनाडु | 617.2 |
मध्यप्रदेश | 569.3 |
महाराष्ट्र | 443.0 |
गुजरात | 738.9 |
बिहार | 277.1 |
उत्तर प्रदेश | 322.0 |
बिहार की स्थिति कई बड़े राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की तुलना में बेहतर है।
निष्कर्ष
बिहार पुलिस ने नेता प्रतिपक्ष द्वारा उठाए गए मामलों का तथ्यात्मक आधार पर जवाब दिया है। आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में संगठित अपराध की अपेक्षा व्यक्तिगत विवादों से जुड़ी घटनाएं ज्यादा हैं और पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई भी सुनिश्चित की जा रही है।