पीएम आवास योजना (PMAY) के तहत एक रोजगार सेवक (PRS) पर गंभीर अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वह सरकारी आदेश की अवहेलना कर, अपनी मनमर्जी से काम कर रहे हैं और योजना के लाभ के बदले 3,000 रुपये की अवैध वसूली कर रहे हैं। मामला, दरभंगा के कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के उजुआ सिमर टोका पंचायत का है। …Video Viral है। देशज टाइम्स पुष्टि नहीं करता। मगर, प्रभारी बीडीओ चंदन कुमार ने कहा है, शोकॉज किया गया है।
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जय बाबा केदार..!
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बीडीओ के आदेश के बावजूद मनमानी जारी
प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) के आदेशों को नजरअंदाज कर रोजगार सेवक अपने किराए के आवास पर लाभार्थियों से मिलकर सर्वे कार्य कर रहे हैं। यह कार्य सरकारी नियमों के खिलाफ है और प्रशासनिक प्रक्रिया को धता बताता है।
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वीडियो वायरल, तीन हजार की अवैध वसूली का आरोप
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा गया कि रोजगार सेवक के आवास पर भारी भीड़ है और वह पीएम आवास योजना पोर्टल पर नाम जोड़ने के बदले ₹3000 की वसूली कर रहे हैं। जो लाभार्थी पैसे नहीं देता, उसका नाम प्रतीक्षा सूची में नहीं जोड़ा जाता।
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देशज टाइम्स वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता, परंतु वीडियो के आधार पर जन आक्रोश और शिकायतें प्रशासन तक पहुंची हैं। देशज टाइम्स के पास जो वायरल वीडियो और फोटो है वह हम सुधी पाठकों को दिखाना नहीं चाहते। इससे भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिलेगा।
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तीन बार भेजा गया नोटिस, जवाब अब तक लंबित
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पत्रांक 295 / दिनांक 20.03.2025: पहली बार बीडीओ ने जवाब मांगा। पत्रांक 347 / दिनांक 28.03.2025: कार्यशैली सुधारने का निर्देश। पत्रांक 491 / दिनांक 02.05.2025: स्पष्टीकरण न देने पर उप विकास आयुक्त व डीएम को प्रतिवेदन भेजा गया।
सख्त कार्रवाई की जाएगी
प्रभारी बीडीओ चंदन कुमार ने बताया:
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“रोजगार सेवक के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई हेतु पुनः स्पष्टीकरण मांगा गया है। अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
ग्रामीणों का आरोप: पैसे दो, योजना में नाम जोड़ो
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जिनसे 3,000 रुपये की रिश्वत नहीं ली जाती, उनके नाम योजना की प्रतीक्षा सूची में नहीं जोड़े जाते। इससे पहले भी ऐसी ही शिकायतें बीडीओ कार्यालय में आई थीं। वहीं, रोजगार सेवक सभी आरोप से इनकार किया है। मगर, यह जांच का विषय है।
जांच और त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए, मगर…
पूरे मामले में प्रशासन को चाहिए वह त्वरित कार्रवाई करे। देर और शोकॉज पूछने का कोई मतलब नहीं। जांच टीम बनाकर तत्काल जांच करते हुए दूध का दूध और पानी साफ कर देना चाहिए। अगर वह लिप्त हैं तो तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। लेटलटीफी सही नहीं है। यह मामला दर्शाता है कि ग्रामीण योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
गरीब लाभार्थियों के साथ अन्याय है
ऐसे मामलों पर त्वरित प्रशासनिक कार्रवाई जरूरी है ताकि जनता का विश्वास सरकारी योजनाओं में बना रहे। मामले ने पीएम आवास योजना की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह सिर्फ एक प्रशासनिक विफलता नहीं बल्कि गरीब लाभार्थियों के साथ अन्याय है।
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