“झारखंड: सख्त कानून के बावजूद पेपर लीक के मामले जारी, परीक्षार्थियों में आक्रोश”

झारखंड में सरकारी परीक्षाओं में धांधली और पेपर लीक की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन ने इन मामलों को रोकने के लिए सख्त कानून और कड़े प्रावधान लागू किए हैं, लेकिन इसके बावजूद पेपर लीक की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।

ताजा मामला:

हाल ही में झारखंड में एक बड़ी परीक्षा के दौरान पेपर लीक होने की घटना सामने आई।

  1. परीक्षा से पहले ही पेपर वायरल:
    • परीक्षा शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
    • प्रशासन को जैसे ही सूचना मिली, मामले की जांच के आदेश दिए गए।
  2. परीक्षार्थियों का आक्रोश:
    • इस घटना के बाद परीक्षार्थियों ने कड़ी नाराजगी जताई और परीक्षा रद्द करने की मांग की।
    • छात्रों ने आरोप लगाया कि यह लगातार हो रही लापरवाही का परिणाम है।

सख्त कानून के बावजूद पेपर लीक क्यों?

  1. भ्रष्टाचार और अंदरूनी मिलीभगत:
    • कई बार पेपर लीक के पीछे अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत पाई गई है।
    • सिस्टम में पारदर्शिता की कमी भी इसका मुख्य कारण है।
  2. तकनीकी खामियां:
      • डिजिटल माध्यम और सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी के कारण पेपर लीक होना आसान हो गया है।
  3. माफिया का दखल:
    • झारखंड में परीक्षा माफिया की सक्रियता ने इन घटनाओं को बढ़ावा दिया है।
    • ये माफिया बड़े पैमाने पर धन कमाने के लिए सिस्टम का दुरुपयोग करते हैं।
  4. सरकार और प्रशासन के कदम:

    1. सख्त कानून:
      • राज्य सरकार ने पेपर लीक के मामलों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त दंड का प्रावधान किया है।
      • दोषियों को कड़ी सजा और भारी जुर्माना लगाया जा रहा है।
    2. डिजिटल सुरक्षा:
      • प्रश्नपत्र तैयार करने और वितरण की प्रक्रिया को डिजिटल सुरक्षा प्रणाली के तहत लाने की योजना बनाई जा रही है।
      • एन्क्रिप्शन तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
    3. जांच और कार्रवाई:
      • सभी पेपर लीक मामलों की विशेष टीम द्वारा जांच की जा रही है।
      • दोषी अधिकारियों और माफिया नेटवर्क को पकड़ने के लिए पुलिस को सख्त निर्देश दिए गए हैं।
  5. परीक्षार्थियों की मांग:

    1. पारदर्शिता:
        • परीक्षार्थियों ने परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की है। 
    2. दोबारा परीक्षा:
        • छात्र चाहते हैं कि पेपर लीक होने की स्थिति में तुरंत पुनः परीक्षा आयोजित की जाए।
    3. जवाबदेही:
        • छात्रों ने मांग की है कि दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर तत्काल कार्रवाई हो।

निष्कर्ष:

झारखंड में पेपर लीक की घटनाएं न केवल छात्रों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं, बल्कि प्रशासनिक प्रणाली की खामियों को भी उजागर करती हैं। सरकार और प्रशासन को इन घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निगरानी और तकनीकी सुधार की जरूरत है। छात्रों की मेहनत और ईमानदारी का सम्मान करते हुए ऐसी घटनाओं पर तत्काल रोक लगाना अत्यंत आवश्यक है।

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