Skin Protection Tips : खतरनाक केमिकल वाले रंगों से होली हो सकती है बेरंग, डॉक्टर्स से जानें कैसे करें बचाव ?

Skin Protection Tips : होली रंगों का त्योहार है। लेकिन बाजार में बिकने वाले रंगों में कई हानिकारक केमिकल होते हैं। इनसे होली खेलना कई बार जानलेवा भी साबित हो सकता है। केमिकल वाले रंगों से त्वचा पर रैशेज, एलर्जी और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा अगर ये रंग आंखों में चले जाएं तो आंखों को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है। अस्थमा और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को इससे बचना चाहिए। बच्चों और बुजुर्गों को इस दौरान खास तौर पर खतरा हो सकता है। आइए जानते हैं केमिकल वाले रंगों से किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं? इससे बचाव क्या है? बच्चों और बुजुर्गों को किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए? आईये जानते हैं डॉक्टर्स से :

कृत्रिम रंगों में भारी मात्रा में होते हैं केमिकल: त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. गोपाल प्रसाद ने बताया कि बाजार में मिलने वाले रंगों में भारी मात्रा में हानिकारक केमिकल होते हैं। इससे रैशेज, लालिमा, खुजली, एलर्जी और इंफेक्शन होने की आशंका रहती है। इसके अलावा अगर ये रंग आंखों और सांस में चले जाएं तो गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए कोशिश करें कि केमिकल वाले रंगों का इस्तेमाल न करें। होली खेलने जाने से पहले शरीर के खुले हिस्से पर नारियल तेल या कोई बॉडी लोशन की एक परत लगा लें। ऐसा करने से रंग का सीधा असर त्वचा पर नहीं पड़ता। होली खेलकर घर आने के बाद चेहरे को साधारण पानी से धो लें। साबुन का इस्तेमाल न करें। इससे जलन बढ़ सकती है। माइल्ड फेसवॉश का इस्तेमाल कर सकते हैं।

दंत चिकित्सक डॉ. अमित गौरव ने बताया कि रंग खरीदते समय केमिकल वाले रंगों की जगह हर्बल रंगों को प्राथमिकता दें। किसी भी तरह का रंग मुंह या दांतों में चला जाए तो तुरंत साफ पानी से धोएं और डॉक्टर से संपर्क करें। त्वचा की तरह मुंह में भी जलन हो सकती है। इसके अलावा दांतों और मुंह के जरिए पेट में पहुंचकर गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, साथ ही यह दांतों को भी हमेशा के लिए खराब कर देगा।

फिजिशियन डॉ. एके आदित्य ने बताया कि बाजार में बिक रहे केमिकल वाले रंग सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं। केमिकल वाले रंगों में बहुत छोटे कण होते हैं जो हवा में मिलकर सांस के जरिए श्वसन तंत्र में जा सकते हैं। इससे खांसी और छींक आने की शिकायत हो सकती है। अगर अस्थमा या सांस संबंधी कोई अन्य समस्या है तो ऐसे रंग उन्हें भी नुकसान पहुंचाएंगे।

शहर के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. सौम्येंदु मुखर्जी ने बताया कि जिन बच्चों को फेफड़े, सांस संबंधी समस्या आदि है, उन्हें कृत्रिम रंगों और गुलाल से बचाना चाहिए। साथ ही बच्चों को तेल और मसालों से बनी चीजें खाने से भी बचाना चाहिए। इन दिनों ज्यादातर कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल होता है और कुछ लोग तो कई रंगों और अबीर में रंग के लिए केमिकल का भी इस्तेमाल करते हैं।

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