NEET Exam Fraud : जानिए कौन है सॉल्वर गैंग के डॉ. रंजीत और रामबाबू ? एक अभ्यर्थी से लेते थे 10 लाख रुपए.

Neet Exam Fraud : समस्तीपुर पुलिस ने नीट-यूजी की परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले सॉल्वर गैंग का पर्दाफाश किया है। इस मामले में पुलिस ने एक डॉक्टर समेत 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से तीन मोबाइल , 50 हजार रुपए नकद और एक कार के अलावे कई छात्रों के एडमिट कार्ड भी बरामद किया है। गिरफ्तार आरोपियों में समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर के बेलसंडी तारा के रहने वाले डॉक्टर रंजीत कुमार और दरभंगा जिला के लहेरियासराय के निवासी रामबाबू मल्लिक शामिल हैं।

इसमें डॉक्टर रंजीत कुमार बेगूसराय जेल में कॉन्ट्रेक्ट पर चिकित्सक के पद पर कार्यरत है। वहीं डॉक्टर के साथ पकड़ा गया रामबाबू मल्लिक डीएमसीएच दरभंगा में पोस्टेड है। दोनों सॉल्वर गैंग से जुड़े हैं। डॉ. रंजीत ने गया मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढाई की है। इसी वजह से उनका संपर्क नीट परीक्षा से जुड़े छात्रों और अन्य संबंधित लोगों से हुआ। गिरफ्तारी के समय रंजीत के मोबाइल से 6 अभ्यर्थियों को एडमिट कार्ड, आधार कार्ड, फोटो और हस्ताक्षर मिले थे। पुलिस मुख्यालय के इनपुट पर समस्तीपुर SP ने SIT का गठन किया। SIT ने कार में बैठ कर फर्जीवाड़ा करते रंजीत और रामबाबू को गिरफ्तार कर लिया।

 

अकूत संपत्ति का मालिक है डॉक्टर रंजीत :

समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर के बेलसंडी तारा के रहने वाले डॉक्टर रंजीत कुमारअकूत संपत्ति का मालिक है। बेलसंडी में करोड़ों की जमीन है, जबकि वारिसनगर के चारो गांव में भी 15-20 बीघा जमीन है, जो काफी महंगी है। इसके अलावा दलसिंहसराय में भी संपत्ति खरीद रखी है।

सूत्रों के अनुसार डॉ. रंजीत की बहाली बिहार सरकार द्वारा अनुबंध के आधार पर बेगूसराय जेल में की गई है। वह समस्तीपुर जिले के दलसिंहसराय में एक निजी क्लिनिक और अस्पताल का संचालन करता है। बताया जा रहा है कि डॉ. रंजीत हाल ही में मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद नीट परीक्षा से जुड़े छात्र और सॉल्वर गैंग के संपर्क में आया था। वह समस्तीपुर में नीट परीक्षा में फर्जीवाड़े के लिए प्रसिद्द था। जांच में यह बात सामने आई है कि रंजीत 3 अप्रैल से छुट्टी पर था। रंजीत परीक्षा के दो दिन पहले से ही अपने कैंडिडेट्स को मैनेज कर रहा था।

 

 

वहीं डॉ. रंजीत कुमार का एजुकेशन कंसलटेंसी का कारोबार भी है और वह जरूरतमंद बच्चों से मोटी रकम लेकर मेडिकल, इंजीनियरिंग, बीसीए, एमबीए, बीटेक, बीएड, डीएलएड आदि में एडमिशन कराता है। जानकारों के अनुसार रंजीत ने 100 से अधिक छात्र-छात्राओं का हायर एजुकेशन के लिए एडमिशन करवा चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि, ‘रंजीत अपनी पहुंच के बल पर अच्छे-अच्छे इंस्टीट्यूट और बड़े-बड़े सरकारी संस्थानों में पैसे के बल पर छात्र-छात्राओं का एडमिशन करा देता है।’

वहीँ दूसरा आरोपी रामबाबू मल्लिक दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (DMCH) में दैनिक कर्मी के रूप में कार्यरत है। उसे 15 साल पहले नौकरी मिली थी। उसकी तैनाती परीक्षा विभाग में थी। इसके बाद से वह मेडिकल और एमबीबीएस के छात्रों से काउंसिलिंग के दौरान मोटी रकम लेकर एडमिशन कराता था। जिससे उसने काफी संपत्ति अर्जित की। इसके साथ ही खुद को डीएमसीएच का अधिकारी बता हाई प्रोफाइल लड़की से शादी भी की, लेकिन उसकी पत्नी सच्चाई का पता चलने पर उसको छोड़कर चली गई।

फिलहाल पुलिस दोनों आरोपियों की हिस्ट्री पता करने में जुटी है। पुलिस को उम्मीद है कि बरामद मोबाइल के जरिए फर्जीवाड़ा से जुड़े कई और सफेदपोशों तक पहुंच सकती है। माना जा रहा है कि पूछताछ में मुंह खोलने के बाद यहां भी कई सफेदपोशों पर गाज गिर सकती है। राम बाबू को सॉल्वर गैंग से कैसे संपर्क हुआ? उसके घर पर कौन- कौन आता था? इसे लेकर परिजनों से भी पूछताछ हो सकती है। बताया जाता है कि परीक्षा से पूर्व ही राम बाबू पुलिस के रडार पर था।

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