राठौड़ बाबा की शाही सवारी देखने उमड़ी शहरवासियों की भीड़

*तीन सौ साल से चली आ रही है परंपरा
*बाबा के साथ गणगौर माता और ईसरजी के जोड़े भी सजाए जाते
*शहरवासी श्रद्धा के साथ सवारी का स्वागत

धर्म की नगरी अजमेर में सोमवार को चैत्र शुक्ल दशमी के मौके पर राठौड़ बाबा की शाही सवारी का आयोजन धूमधाम से हुआ। मोदियाना गली से शुरू हुई इस सवारी में राठौड़ बाबा के साथ-साथ गणगौर माता और ईसरजी के जोड़े भी शामिल थे। सवारी का मार्ग व्यास गली, होलीदड़ा, सर्राफा पोल, खटोला पोल होते हुए गणेश मंदिर तक पहुंचा, जहां विश्राम के बाद देर रात पुनः यात्रा शुरू हुई।

सवारी के साथ बैंड-बाजे, ढोल, रंगीन रोशनी और आकर्षक सजावट की व्यवस्था की गई थी, जिससे पूरा नया बाजार उत्सवमय नजर आ रहा था। राठौड़ बाबा की सवारी का आयोजन सोलथम्बा धड़ा फरीकेन द्वारा किया जाता है, जो कि लगभग 300 साल पुरानी परंपरा है। हर साल दशमी के दिन यह सवारी निकाली जाती है, जिसमें राठौड़ बाबा का विशेष शृंगार किया जाता है। बाबा के साथ गणगौर माता और ईसरजी के जोड़े भी सजाए जाते हैं, जिन्हें जेवर और बेस पहनाए जाते हैं।

आयोजन समिति के धर्मेन्द्र मिश्रा ने बताया कि राठौड़ बाबा की सवारी उनके पूर्वजों की परंपरा का हिस्सा है और यह हर साल बड़े धूमधाम से निकाली जाती है। खासकर सुहागन महिलाएं 16 दिनों तक गणगौर की पूजा करती हैं, जिसके बाद राठौड़ बाबा की सवारी का आयोजन होता है। इस दौरान शहरवासी बड़ी श्रद्धा के साथ सवारी का स्वागत करते हैं और जगह-जगह पुष्प वर्षा की जाती है। यह परंपरा करीब 300 सालों से चली आ रही है, दशमी के दिन राठौड़ बाबा की सवारी निकाली जाती है और दूसरे दिन एकादशी मंगलवार को मेहंदी और लच्छे का वितरण किया जाता है, जिसे लोग बतौर प्रसाद लेते हैं।

सवारी को देखने लोग दूर-दूर से यहां पहुंचे थे, जिससे आसपास की गलियां खचाखच भर गई थीं। राठौड़ बाबा की सवारी अजमेर के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है, जो वर्षों से चली आ रही परंपरा को जीवित रखे हुए है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *