अलग-अलग राज्यों में है मकर संक्रांति की अलग परम्परा, ब्राह्मण महासभा ने बताया सूर्य के अनुसार मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व, इसी दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में करता है प्रवेश, सभी शुभ कार्य हो जाएंगे शुरू
Report by Nawada News Xpress
नवादा / सूरज कुमार
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हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो उस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इसबार मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाया जाना है। इसके लिए अलग-अलग राशियों का अलग-अलग महत्व है। इस पर्व की तैयारी को लेकर बाजारों में खरीदारी भी तेज हो गई है। जिसमें तिलकुट, चूड़ा, गुड़ तथा दही आदि की खरीदारी में लोग जुट गये हैं।
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यह त्यौहार देश भर के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है, पंजाब में लोहड़ी पर्व को संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है। इसी प्रकार इस पर्व को उत्तराखंड में उत्तरायणी, कर्नाटक में संक्रांति, तमिलनाडु व केरल में पोंगल, पंजाब व हरियाणा में माघी, गुजरात व राजस्थान में उत्तरायण, तो वहीं बिहार व यूपी में खिचड़ी के नाम से जाना जाता है।
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क्या है शुभ मुहूर्त
इधर, मकर संक्रांति पर्व को लेकर ब्राह्मण महासभा ने बैठक आयोजित कर प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि कई सालों बाद इसबार 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति पड़ रहा है, जो काफी शुभ माना गया है। महासभा के मीडिया प्रभारी पंडित विद्याधर शास्त्री ने बताया कि ब्राह्मण महासभा एवं अध्यात्म भारती परिषद के संयुक्त तत्वाधान में बैठक की गई, जिसकी अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष मोहन पांडेय ने किया। इस दौरान सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया कि बनारस पंचांग के अनुसार इसबार कई वर्षों बाद मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी दिन मंगलवार को मनाया जायगा। उन्होंने बताया कि 14 जनवरी को पूर्णकाल दोपहर 2.58 में मकर राषि पर सूर्य प्रवेश कर रहे हैं।
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इसके साथ ही धनु राशि का खरमास समाप्त हो जायगा तथा मकर राषि से सूर्य उतरायण हो जाएंगे। इसके साथ ही सभी शुभ कार्य प्रारम्भ हो जायगा। उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति पूण्यकाल में पूजा, दान, हवन आदि के अलावा गंगा स्नान के साथ दानपूण्य से शुभ फल प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के दिन उनी वस्त्र, कंबल, वस्त्र, जूता, धार्मिक पुस्तकें, पंचांग दान, चूड़ा, दही व तिलकुट दान का विशेष महत्व है। मौके पर पंडित श्याम सुंदर पांडेय, पांडेय अभिमन्यु कुमार, जिला प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी पंडित विद्याधर शास्त्री, रामाकांत पांडेय व्यास जी, राजेन्द्र पांडेय तथा लक्ष्मण पांडेय आदि ब्राह्मणों के द्वारा विचार विमर्श के बाद उक्त निर्णय लेते हुए जनहित में शुभ मुहूर्त जारी किया गया।
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मकर संक्रांति के दिन क्या करें क्या ना करें
पंडित जी बताते हैं कि नदियों में स्नान अवश्य करें, बड़ों का अपमान ना करें, खासकर के पिता का अपमान नहीं करना चाहिए, खासकर भगवान सूर्य की पूजा विशेष रूप से करें। इस दिन सूर्य देवता के साथ भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी और शिव जी की भी पूजा अवश्य करना चाहिए। इस दिन अपने पिता को कुछ उपहार अवश्य देनी चाहिए और उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन पूरे परिवार के साथ खिचड़ी और तिल की बनी वस्तु का सेवन अवश्य करनी चाहिए। इस दिन झाड़ू का दान ना करें, लेकिन झाड़ू खरीद कर अपने घर अवश्य लानी चाहिए। इस दिन सोने के जेवर को गंगाजल से धोकर उन पर हल्दी छिड़ककर शाम को तिजोरी में रख देना चाहिए। इस दिन गायों का सेवा अवश्य करनी चाहिए और 14 चीजों का दान भी करना चाहिए। मकर संक्रांति का दिन बहुत लाभकारी होता है। निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मणों को तिल और खिचड़ी का दान करना चाहिए, साथ ही इस दिन पेड़-पौधों को नहीं काटना चाहिए।
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क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र झा
ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र झा ने बताया कि इस दिन गंगा व नदी सरोवरों में स्नान कर दान करने से पुण्य एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा संक्रांति पर्व पर पितरों का ध्यान करना अवश्य चाहिए और उनका निमित्त तर्पण भी करना चाहिए तथा खिचड़ी का भोग उन्हें जरूर लगाना चाहिए, साथ ही पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खिचड़ी दान भी करना बहुत लाभकारी है। उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का प्रसाद भी बांटा जाता है। इसके अलावा कई जगहों पर पतंगे उड़ाने की भी परंपरा है। इतना ही नहीं इस दिन व्रत और पूजा पाठ करने से विशेष फल मिलता है। हिंदू पंचांगों में हिंदू त्योहारों की गणना चंद्रमा पर आधारित होती है, जबकि मकर संक्रांति पर्व सूरज पर आधारित होता है।
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