नवादा व्यवहार न्यायालय में कर्मचारियों ने क्यों शुरू किया अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल, ऐसे प्रभावित हुआ न्यायिक कार्य, पढ़ें पूरी खबर

न्यायालय परिसर में परेशान होते रहे पक्षकार, कर्मियों के हड़ताल से अधिवक्ताओं को झेलना पड़ रहा फजीहत, प्रतिदिन न्यायालय में होती है लगभग दो हजार से अधिक मामले की सुनवाई, हड़ताल से न्यायालय पर पड़ा मामलों की अतिरिक्त बोझ, व्यवहार न्यायालय में अग्रीम और नियमित जमानत सहित जेल में बंद कैदियों की जमानत कार्य व सुनवाई हुआ प्रभावित 

Report by Nawada News Xpress

नवादा / सूरज कुमार

वर्षों से लम्बित बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ की मांग ने अब तूल पकड़ लिया है। गुरूवार को संघ के आहवान पर व्यवहार न्यायालय के कर्मचारी अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल पर चले गये हैं, जिससे अदालती कार्य प्रभावित हो गया। कर्मचारियों के हड़ताल से एक तरफ जहां जमानतीय कार्य प्रभावित हुआ है वहीं दूसरी तरफ न्यायिक सभी कार्यों पर असर पड़ गया है।

ऐसे में न्यायालय के अंदर विभिन्न अदालतों के माध्यम से प्रतिदिन करीब 25 सौ मामलों की सुनवाई होती थी, परंतु कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल से व्यवहार न्यायालय पर अतिरिक्त मामलों का बोझ बढ़ने की सम्भावना बन गई है। संघ के नवादा इकाई अघ्यक्ष सुभाष चन्द्र शर्मा व सचिव रत्नानन्द झा ने संयुक्त रूप से बताया कि वेतन में विसंगती को दूर करने, तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का पदोन्नति करने, अनुकम्पा पर बहाली तथा विशेष न्यायिक कैडर की मांग की गई है, जिसे सरकार के द्वारा नजर अंदाज किया जा रहा है।

मांगे पूरा नहीं होने की स्थित में व्यवहार न्यायालय के कर्मियों ने प्रदेश के आहवान पर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दिया है। उन्होने यह भी बताया कि सरकार के द्वारा सभी विभागों के कर्मी को प्रोन्नति दी गई, लेकिन व्यवहार न्यायालय के कर्मी को इस लाभ से वंचित रखा गया है। ़व्यवहार न्यायालय के कर्मियों की हड़ताल पर जाने से अदालती कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। हालांकि, न्यायिक पदाधिकारी व अधिवक्ता नियमित समय पर व्यवहार न्यायालय में उपस्थित रहे, परंतु न्यायिक कार्यों में हड़ताल का काफी असर देखने मिला,

साथ ही अधिवक्ताओं को हड़ताल के कारण अपने मुवक्किलों की परेशानियों का सामना करना पड़ा। बता दें कि गुरूवार को नवादा मंडल कारा से 50 कैदी व्यवहार न्यायालय लाया गया था, जिसमें कुछ कैदियों का ही उपस्थापन हो सका। व्यवहार न्यायालय के गेट पर धरना में बैठे संघ के लोगों में उपाध्यक्ष सुबोध कुमार, उपसचिव पवन कुमार, अंकेक्षक कुमार विद्याव्रत, कोषाध्यक्ष चंदन कुमार शर्मा, संगठन मंत्री उमेश ठाकुर व धर्मवीर प्रसाद, सूचना अध्यक्ष एवं सम्पर्क मीडिया प्रभारी सईद जैकी हैदर, प्रवीण कुमार, महिला प्रकोष्ठ के अध्यक्ष खुश्बू कुमारी, उपाध्यक्ष कुमारी मधुमिता, अमित कुमार, चन्द्रकांत कुमार, नवीन कुमार, विजय कुमार, अरविंद कुमार, जगजीत कुमार, राजेश कुमार तथा रवि शंकर आदि मौजूद थे। 

न्यायालय कर्मी के हड़ताल पर जाने से क्या-क्या हुआ न्यायिक कार्य प्रभावित

न्यायिक कर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से कई महत्वपूर्ण न्यायिक कार्य प्रभावित हो गया है, जिसमें अदालत का पूरा कार्य अभिलेख के द्वारा निस्पादित किया जाता है, जिसे उक्त अभिलेख न्यायालय कर्मी के द्वारा ही अदालत में प्रस्तुत किया जाता है, जो प्रभावित हो गया। कर्मी के हड़ताल पर जाने से सिविल अथवा आपराधिक अभिलेख निश्चित तिथि को कार्यालय से न्यायालय कक्ष तक पहुंचना मुश्किल हो गया। इस कारण कई मामलों की सुनवाई प्रभावित हो सकती है। वहीं जेल में बंद विचाराधीन कैदियों के जमानत आवेदन पर भी सुनवाई में परेशानी हो गई है।

साथ ही गिरफ्तार वारंटी को जेल भेजने से पूर्व पुराने अभिलेख को उपलब्ध कराने की समस्या उत्पन्न हुई। हालांकि, हड़ताल के दौरान न्यायालय में कुछ कार्य किया गया है। व्यवहार न्यायालय के कर्मियों की मानें तो व्यवहार न्यायालय में लगभग एक लाख के अंदर आपराधिक मामले विचाराधीन है। जिसमें प्रत्येक न्यायालय में लगभग दो हजार से अधिक आपराधिक मामले लम्बित हैं। ऐसे में यदि कोई भी वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है तो वांछित अभिलेखों को खोजना ही एक कठिन कार्य होगा। कर्मी के हड़ताल पर जाने से जहां पक्षकारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं अधिवक्ताओं को भी आर्थिक क्षति पहुंच रही है। 

अधिवक्ताओं ने कहा हड़़ताल से न्यायालय पर बढ़ेगा अतिरिक्त बोझ

जिला अधिवक्ता संघ से जुड़े अधिवक्ताओं ने कहा कि न्यायिक कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से न्यायालय पर मामलों का अतिरिक्त बोझ बढ़ जायगा। ऐसे में सरकार को चाहिए कि यथाशीघ्र कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान देते हुए इसे समाप्त कराने का प्रयास करे। अधिवक्ताओं ने कहा कि इस हड़ताल से एक तरफ मुवक्किलों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा वहीं अधिवक्ताओं को भी आर्थिक क्षति पहुंचेगी। साथ ही अधिवक्ताओं ने कहा कि ऐसी हालात में जेल में बंद विचाराधीन बंदियों की जमानत आवेदन भी प्रभावित होगा, इसके लिए अतिरिक्त वैकल्पिक व्यवस्था होना जरूरी है। गौरतलब हो कि न्यायालय कर्मी के द्वारा हड़ताल पर जाने से पूर्व लिखित जानकारी प्रधान जिला जज को दिया जा चुका है।

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