सदर अस्पताल रोड पर हंगामे की स्थिति, महिला डॉक्टर ने छात्रों से वसूले 10 हजार रुपये
घटना का संक्षिप्त विवरण
शुक्रवार की दोपहर बाद सदर अस्पताल रोड स्थित रीजनल प्रोग्राम कार्यालय (RPM) के बाहर हंगामेदार स्थिति बनी रही। एक महिला डॉक्टर की कार को टोटो से हल्की टक्कर लग गई, जिससे कार का शीशा क्षतिग्रस्त हो गया। इसके बाद महिला डॉक्टर ने अपनी पहुंच और पैरवी का दबाव बनाते हुए पारा मेडिकल इंस्टीट्यूट (PMI) के छात्रों से 10 हजार रुपये हर्जाने के रूप में वसूल कर लिए। करीब एक घंटे की बहस और हंगामे के बाद मामला शांत हुआ।
घटना कैसे हुई?
महिला डॉक्टर भारती शर्मा रीजनल प्रोग्राम कार्यालय में एक ट्रेनिंग सेशन में शामिल होने आई थीं। उन्होंने अपनी कार (नंबर BR09Q 5309) को सड़क किनारे पार्क किया, हालांकि वह स्थान नो-पार्किंग जोन था। इसी दौरान, पारा मेडिकल इंस्टीट्यूट के कुछ छात्र टोटो से अस्पताल पहुंचे। अपराह्न 02:00 बजे से उनकी शिफ्ट शुरू होने वाली थी, इसलिए वे टोटो पर ही थोड़ा आगे-पीछे कर रहे थे। अचानक, टोटो का हल्का झटका कार के पिछले हिस्से से लग गया, जिससे कार का शीशा टूट गया।
महिला डॉक्टर का गुस्सा और छात्रों पर दबाव
घटना के तुरंत बाद महिला डॉक्टर वहां पहुंचीं और छात्रों पर गंभीर आरोप लगाने लगीं। उन्होंने गुस्से में आकर छात्रों को धमकी दी कि यदि वे कार की मरम्मत का खर्च नहीं उठाते, तो वह उनके खिलाफ थाने में मामला दर्ज करा देंगी।
छात्रों की बेबसी और हर्जाने की मांग
पीएमआई के छात्र घबराए हुए थे। वे किसी भी प्रकार के कानूनी विवाद में नहीं फंसना चाहते थे। हालांकि, यह स्पष्ट था कि यह एक मामूली दुर्घटना थी, लेकिन महिला डॉक्टर ने अपनी ऊंची पहुंच और प्रभाव का हवाला देकर छात्रों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया।
छात्रों ने डॉक्टर से मामले को सुलझाने की गुजारिश की, लेकिन डॉक्टर ने किसी भी तरह की बातचीत से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि या तो 10 हजार रुपये तुरंत दिए जाएं, या फिर मामला पुलिस स्टेशन तक जाएगा।
छात्रों ने चंदा कर जुटाई रकम
डर और दबाव के चलते पीएमआई के छात्रों ने आपस में चंदा इकट्ठा किया और 10 हजार रुपये की राशि किसी तरह जुटाकर महिला डॉक्टर को सौंप दी। इसके बाद डॉक्टर ने मामला शांत किया और वहां से रवाना हो गईं।
मामले से उठे सवाल
यह घटना कई सवाल खड़े करती है—
- नो पार्किंग जोन में गाड़ी पार्क करना – महिला डॉक्टर ने खुद गाड़ी गलत जगह खड़ी की थी।
- छात्रों पर अनुचित दबाव – मामूली नुकसान के लिए छात्रों से इतनी बड़ी राशि वसूल करना क्या उचित था?
- पुलिस की निष्क्रियता – इस पूरे घटनाक्रम के दौरान कोई भी प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं हुआ।
निष्कर्ष
यह घटना एक उदाहरण है कि कैसे प्रभावशाली लोग अपनी ताकत का इस्तेमाल करके कमजोर वर्ग पर दबाव बनाते हैं। छात्रों के पास कोई विकल्प नहीं था, इसलिए उन्होंने समझौता करने में ही भलाई समझी। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए न्यायसंगत व्यवस्था और प्रशासन की सक्रियता आवश्यक है।