मुंगेर में बिहार राज्य परिवहन विभाग के ड्राइवर-कंडक्टर की अनिश्चितकालीन हड़ताल

मुंगेर में बिहार राज्य परिवहन विभाग के ड्राइवर और कंडक्टर अपने तीन माह के बकाया वेतन की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इस हड़ताल के कारण यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सार्वजनिक परिवहन सेवा ठप पड़ जाने से आम लोगों को वैकल्पिक साधनों का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर यात्रियों पर भारी प्रभाव पड़ा है।

ड्राइवर-कंडक्टरों का आरोप – ‘हमें हर तरह से लूटा जा रहा है’

हड़ताल कर रहे कर्मियों ने आरोप लगाया कि वे फरवरी 2020 से मात्र 627 रुपये दैनिक मजदूरी पर बिहार राज्य परिवहन विभाग की मुंगेर शाखा में कार्यरत हैं, लेकिन अब उनकी स्थिति दयनीय हो गई है। न केवल उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल रहा, बल्कि उनके पीएफ की कटौती भी सही ढंग से नहीं की जा रही है। यह वित्तीय अनिश्चितता उनके लिए बेहद कठिन परिस्थिति पैदा कर रही है।

वेतन नहीं मिलने से बढ़ी आर्थिक तंगी

तीन माह से वेतन न मिलने के कारण हड़ताल कर रहे कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। कई कर्मचारियों के घरों में भोजन तक जुटाना मुश्किल हो गया है। कर्जदारों के दबाव में वे मानसिक रूप से भी परेशान हैं और उन्हें अपना मुंह छुपाकर चलना पड़ रहा है। उनके परिवार के सदस्य भी इस स्थिति से प्रभावित हो रहे हैं।

ड्राइवरों ने 22 फरवरी को दी थी हड़ताल की चेतावनी

बस ड्राइवर सुमन कुमार ने बताया कि हड़ताल पर जाने से पहले उन्होंने 22 फरवरी को लिखित रूप में सूचना दी थी कि यदि 25 फरवरी तक उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो वे 26 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इसके बावजूद, प्रबंधन ने उनकी बातों को अनदेखा किया और कोई समाधान नहीं निकाला, जिसके चलते उन्हें मजबूर होकर हड़ताल पर जाना पड़ा।

प्रबंधन का पक्ष – ‘जल्द होगा समाधान’

इस मामले पर बस डिपो अधीक्षक ने कहा कि हड़ताल कर रहे सभी कर्मचारी गोस्वामी कंपनी के अधीन कार्यरत हैं। मुख्यालय स्तर पर कुछ प्रशासनिक परेशानियां आई हैं, लेकिन 72 घंटे के अंदर सभी समस्याओं का समाधान कर दिया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि कर्मचारियों का वेतन तैयार कर लिया गया है और जल्द ही उनके खाते में भेज दिया जाएगा।

यात्रियों की परेशानी कब होगी दूर?

हड़ताल के कारण आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों से शहर आने-जाने वाले यात्री बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। सरकारी परिवहन सेवा के बंद होने से निजी वाहनों के किराए में भी बढ़ोतरी हो गई है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार और प्रबंधन जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकालें ताकि परिवहन व्यवस्था पुनः सुचारू रूप से चल सके।

निष्कर्ष

ड्राइवर-कंडक्टरों की यह हड़ताल उनकी आर्थिक समस्याओं का परिणाम है, जिसे नजरअंदाज करना संभव नहीं है। समय पर वेतन न मिलने से न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है, बल्कि यह आम जनता को भी प्रभावित कर रहा है। अब यह देखने वाली बात होगी कि प्रशासन इस समस्या का समाधान कितनी जल्दी निकालता है और यात्रियों को राहत कब मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *