बिहार का मुंगेर जिला अब तक देशभर में अवैध हथियारों के गढ़ के रूप में बदनाम रहा है। लेकिन अब यह जिला सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यहां अब नकली सिगरेट का भी बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा है। यह सिगरेट देखने में बिल्कुल ब्रांडेड कंपनियों की तरह होते हैं, लेकिन हकीकत में ये पूरी तरह नकली होते हैं, जिनमें न तो गुणवत्ता होती है और न ही स्वास्थ्य मानकों की कोई चिंता।
पुलिस की कार्रवाई में खुला राज
तीन अप्रैल को मुंगेर पुलिस अधीक्षक सैयद इमरान मसूद के निर्देश पर पूरबसराय थाने की पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए दिलवारपुर की एक गली से नकली सिगरेट के कई कार्टन जब्त किए। ये सिगरेट विभिन्न ब्रांड्स के नाम पर तैयार किए गए थे, लेकिन सभी पूरी तरह अवैध व नकली निकले।
नकली सिगरेट की कीमत और जांच
बरामद नकली सिगरेट की कीमत का आकलन करने के लिए उसे केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर तथा केंद्रीय उत्पाद शुल्क (CGST & CX) विभाग को सौंप दिया गया। जांच में यह स्पष्ट हो गया कि जब्त की गई सारी सिगरेट नकली हैं और इनकी आपूर्ति शहर ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों और यहां तक कि झारखंड और पश्चिम बंगाल तक की जा रही थी।
सिगरेट के डिब्बे बिना नाम के, लेकिन फिल्टर पर ब्रांडेड पहचान
CGST एंड सीएक्स के अधीक्षक मुकेश कुमार भारद्वाज ने बताया कि उन्हें पहले से सूचना मिल रही थी कि मुंगेर के कुछ मोहल्लों में नकली सिगरेट बनाई जा रही है। जांच में यह भी सामने आया कि सिगरेट के डिब्बों पर किसी ब्रांड का नाम नहीं लिखा गया था, जिससे शक न हो, लेकिन फिल्टर पर दो प्रसिद्ध ब्रांड्स की जांच एजेंसियों के अनुसार, यह सिंडिकेट सिर्फ मुंगेर तक सीमित नहीं है। इसके तार झारखंड और पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों से जुड़े हुए हैं। ये नकली सिगरेट बड़ी चालाकी से इन इलाकों में भेजे जा रहे थे, जिससे सरकार को भारी राजस्व हानि हो रही है।
फ्लेवर वाले सिगरेट बनाकर युवाओं को निशाना
हैरत की बात यह है कि देश में सामान्यत: जो सिगरेट तैयार होते हैं उनमें तंबाकू की तीव्र गंध होती है। लेकिन मुंगेर में तैयार की जा रही नकली सिगरेट खासतौर पर फ्लेवर युक्त हैं — जैसे पान, अमरूद, संतरा, आम, चॉकलेट आदि की खुशबू में। इनके नाम भी अत्यंत आकर्षक होते हैं जैसे — “विन”, “ब्लैक”, “मोंड”, “गोल्डेन एलीफैंट”, “पीकॉक” आदि। इस कारण ये सिगरेट युवाओं में बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं क्योंकि इनमें तंबाकू की तीव्र गंध नहीं आती और इन्हें पीना उन्हें “स्टाइलिश” लग रहा है।
हर माह बन रहे हैं 50 लाख रुपये से अधिक के नकली सिगरेट
मिली जानकारी के अनुसार मुंगेर में हर महीने लगभग 50 लाख रुपये से अधिक मूल्य के नकली सिगरेट बनाए जा रहे हैं। इससे न केवल सरकार को कर नुकसान हो रहा है बल्कि आम लोग — विशेषकर युवा वर्ग — स्वास्थ्य के खतरे में भी डाल दिए जा रहे हैं।
आईटीसी प्लांट के बावजूद नकली सिगरेट की फैक्ट्रियां
मुंगेर में आईटीसी (ITC) जैसी देश की जानी-मानी तंबाकू कंपनी का प्लांट होने के बावजूद, यह आश्चर्यजनक है कि शहर में नकली सिगरेट का निर्माण इतनी बड़ी मात्रा में हो रहा है। यह इस बात का संकेत है कि स्थानीय प्रशासन की कहीं न कहीं निगरानी में कमी है या फिर इस अवैध व्यापार को अंदरखाने संरक्षण प्राप्त है।
पान-गुटखा विक्रेता बन रहे हैं माध्यम
नकली सिगरेट से होने वाला मुनाफा इतना अधिक है कि अब पान दुकानदार और गुटखा विक्रेता भी इसमें शामिल हो गए हैं। सस्ते दाम में खरीदी गई नकली सिगरेट को ये दुकानदार ज्यादा कीमत में बेचते हैं और आम आदमी इस नकली उत्पाद को असली समझ कर खरीद रहा है।
नकली सिगरेट और स्वास्थ्य का खतरा
ये नकली सिगरेट न केवल उपभोक्ता को धोखा दे रही हैं बल्कि उनके स्वास्थ्य से भी गंभीर खिलवाड़ कर रही हैं। इनमें उपयोग किए जाने वाले घटिया तंबाकू, हानिकारक रसायन और कृत्रिम फ्लेवर फेफड़ों, हृदय और संपूर्ण शरीर के लिए अत्यंत घातक हैं।
प्रशासन की जिम्मेदारी और जनता की सजगता जरूरी
इस मामले में प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। इस पूरे नेटवर्क को जड़ से उखाड़ने के लिए लगातार छापेमारी, निगरानी और कड़ी सजा जरूरी है। वहीं, जनता को भी जागरूक होना पड़ेगा। हर उपभोक्ता को चाहिए कि वह ब्रांडेड उत्पाद खरीदते समय उसकी असलियत की जांच करे।
निष्कर्षत
मुंगेर में नकली सिगरेट का यह अवैध धंधा न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि स्वास्थ्य और आर्थिक दृष्टिकोण से भी एक गंभीर खतरा है। जब तक प्रशासन, समाज और जनता एक साथ मिलकर इसके खिलाफ कदम नहीं उठाएंगे, तब तक यह खतरा बढ़ता ही जाएगा।