मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर नगर क्षेत्र में शुक्रवार को उस समय हंगामे की स्थिति बन गई जब स्थानीय स्कूल के छात्र-छात्राएं अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए। छात्रों ने मध्य विद्यालय ग्वालटोली को छठी से आठवीं कक्षा तक अन्य विद्यालय में स्थानांतरित करने के फैसले का जमकर विरोध किया।
एनएच-333 को किया गया जाम, हाथों में तख्तियां लेकर किया प्रदर्शन
हजारों स्कूली बच्चे हाथों में तख्तियां लिए हुए स्कूल के सामने हवेली खड़गपुर-जमुई मुख्य मार्ग (NH-333) पर पहुंच गए और सड़क को पूरी तरह जाम कर दिया। तख्तियों पर लिखा था— “आधी रोटी खाएंगे, ग्वालटोली स्कूल नहीं छोड़ेंगे”, जिससे बच्चों के अंदर उबाल और असंतोष साफ झलक रहा था।
छात्रों की नाराजगी का कारण क्या है?
दरअसल, अब तक कक्षा पहली से आठवीं तक पढ़ाई करने वाले मध्य विद्यालय ग्वालटोली को सरकारी आदेश के तहत केवल पहली से पांचवीं तक सीमित कर दिया गया है। वहीं छठी से आठवीं तक की पढ़ाई के लिए छात्रों को राजकीय प्लस टू उच्च विद्यालय में भेजे जाने का निर्णय लिया गया है। यह नया स्कूल बच्चों के घर से लगभग दो से तीन किलोमीटर दूर स्थित है, जिससे बच्चों की सुरक्षा, समय और पढ़ाई दोनों पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
छात्र राजद का समर्थन, नेता ईशु यादव ने उठाए सवाल
छात्र राजद के नेता ईशु यादव ने इस पूरे मसले पर सरकार को घेरा और कहा कि, “एक ओर सरकार यह दावा करती है कि एक किलोमीटर के दायरे में पढ़ाई की सुविधा दी जाएगी, वहीं दूसरी ओर बच्चों को दो-तीन किलोमीटर दूर भेजा जा रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि इससे न केवल बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ेगी, बल्कि ट्रैफिक जाम और अन्य यातायात की समस्याएं भी उत्पन्न होंगी।
अभिभावकों की भी चिंता: सुरक्षा और सुविधा बनी मुख्य मांग
बच्चों के इस प्रदर्शन को अभिभावकों का भी समर्थन मिला। उनका कहना था कि सरकार को निर्णय लेते समय बच्चों की उम्र, सुविधा और सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। उनका स्पष्ट कहना था कि ग्वालटोली स्कूल में ही छठी से आठवीं तक की पढ़ाई जारी रखी जाए, ताकि छोटे-छोटे बच्चों को लंबी दूरी तय न करनी पड़े।
प्रशासनिक हस्तक्षेप: अधिकारियों ने मौके पर पहुंच संभाली स्थिति
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, हवेली खड़गपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रियंका कुमारी, प्रभारी अंचल अधिकारी उमेश शर्मा और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ब्रिज किशोर मौके पर पहुंचे। उन्होंने छात्रों से बातचीत कर उन्हें समझाया और सड़क से हटाया।
अधिकारियों ने छात्रों और अभिभावकों को आश्वासन दिया कि यदि वे अपनी समस्या को लिखित आवेदन के रूप में प्रस्तुत करें, तो उस पर उचित कार्रवाई की जाएगी।