खड़गपुर में एकल विद्यालय का प्रेरक प्रवास, पंचमुखी शिक्षा की जानकारी एवं ग्राम विकास पर की गई चर्चा

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे एकल विद्यालय जैसी संस्थाएं बड़ी निष्ठा और समर्पण के साथ निभा रही हैं। इसी क्रम में दक्षिण बिहार अंचल मुंगेर अंतर्गत खड़गपुर संच के रघुनाथपुर (बनारसी बासा) ग्राम स्थित विद्यालय में एक प्रेरणादायक प्रवास कार्यक्रम आयोजित किया गया।

विशेष आगमन और सहभागिता

इस विशेष अवसर पर विद्यालय की आचार्य दीदी ज्योति जी की उपस्थिति में ग्राम में प्रवास किया गया। इस प्रवास के दौरान अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की, जिनमें प्रमुख रूप से अंचल प्रमुख भरत कुमार जी, अंचल अभियान प्रमुख रितेश चंद्रपाल जी, संच प्रमुख शुभम जी एवं ग्राम समिति के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

पंचमुखी शिक्षा की जानकारी

इस प्रवास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग्रामवासियों को पंचमुखी शिक्षा प्रणाली से अवगत कराना था। पंचमुखी शिक्षा का अर्थ है—बच्चों का सर्वांगीण विकास पाँच मुख्य क्षेत्रों में—प्राथमिक शिक्षा, आरोग्य शिक्षा, जागरण शिक्षा, ग्राम विकास, और संस्कार शिक्षा। प्रत्येक क्षेत्र में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई जो निम्नलिखित है:

1. प्राथमिक शिक्षा – नियमित उपस्थिति पर बल

प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत बच्चों को विद्यालय में प्रतिदिन आने के लिए प्रेरित किया गया। यह समझाया गया कि शिक्षा ही उनके उज्जवल भविष्य की कुंजी है। बच्चों की उपस्थिति ही उनकी निरंतर प्रगति का संकेत है। अभिभावकों को भी जागरूक किया गया कि वे अपने बच्चों को पढ़ाई की ओर प्रेरित करें और शिक्षा के प्रति गंभीरता बरतें।

2. आरोग्य शिक्षा – स्वास्थ्य है पहली संपत्ति

स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाना आज की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। इस क्षेत्र में बच्चों को नीति क्रिया (दैनिक दिनचर्या) के महत्व को समझाया गया। बच्चों को बताया गया कि वे प्रातःकाल उठकर दातून से दाँत साफ करें, स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और साफ-सफाई का ध्यान रखें। इसके अतिरिक्त भोजन करने से पहले और बाद में हाथ धोने की आदत डालने पर बल दिया गया।

3. जागरण शिक्षा – दस्तावेजों की उपलब्धता

जागरण शिक्षा के अंतर्गत बताया गया कि हर व्यक्ति के पास उसके महत्त्वपूर्ण दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, राशन कार्ड, बैंक खाता आदि होना चाहिए। ये दस्तावेज न केवल सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में सहायक हैं, बल्कि नागरिकता के अधिकारों को भी सुनिश्चित करते हैं। ग्रामीणों को बताया गया कि वे अपने पूरे परिवार के दस्तावेज़ पूर्ण करवाएं।

4. ग्राम विकास – जैविक खेती को अपनाएं

ग्राम विकास की दिशा में जैविक खेती को बढ़ावा देने का संदेश दिया गया। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के दुष्प्रभाव को बताते हुए किसानों को प्रेरित किया गया कि वे प्राकृतिक तरीकों से खेती करें, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और स्वास्थ्यवर्धक अनाज का उत्पादन हो। साथ ही, स्वावलंबी ग्राम बनाने की दिशा में स्वरोजगार और स्वच्छता पर भी जोर दिया गया।

5. संस्कार शिक्षा – आचरण से बनता है जीवन

संस्कार शिक्षा पर विशेष बल देते हुए बताया गया कि बच्चों को अपने माता-पिता को प्रतिदिन प्रणाम करना चाहिए, जिससे उनमें आदर और विनम्रता के संस्कार पनपते हैं। साथ ही प्रातः स्मरण, भोजन मंत्र, और दिनचर्या में ईश्वर का ध्यान करने की आदत डालने की सलाह दी गई। ऐसे संस्कार बच्चों को एक सुशोभित नागरिक बनने की दिशा में अग्रसर करते हैं।

 

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