मुंगेर में पत्रकारिता और फोटोग्राफी के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुबोध सागर के निधन से जिले में गहरा शोक व्याप्त हो गया है। 75 वर्षीय सुबोध सागर पत्रकारिता जगत का एक चमकता सितारा थे, जिनकी अचानक मृत्यु ने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया। उनके निधन की खबर जैसे ही फैली, पूरे मुंगेर में शोक की लहर दौड़ गई और हर कोई उन्हें नम आंखों से याद करने लगा।
अचानक उठे सीने के दर्द के बाद निधन
शनिवार की रात सुबोध सागर को अचानक सीने में दर्द की शिकायत हुई। परिवारजनों ने तुरंत उन्हें प्राथमिक उपचार देने की कोशिश की, लेकिन थोड़ी ही देर में उनकी स्थिति बिगड़ गई और उनका निधन हो गया। इस असमय निधन ने उनके चाहने वालों को गहरे सदमे में डाल दिया। पत्रकारिता जगत के साथी, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक हस्तियाँ और आम नागरिक सभी इस अपूर्णीय क्षति पर शोक व्यक्त कर रहे हैं।
मुंगेर के पत्रकारिता जगत का एक मजबूत स्तंभ
सुबोध सागर न सिर्फ एक कुशल पत्रकार थे बल्कि एक उत्कृष्ट फोटोग्राफर भी थे। पत्रकारिता में निष्पक्षता, ईमानदारी और सटीकता को उन्होंने हमेशा प्राथमिकता दी। उनका काम मुंगेर की पत्रकारिता को नई दिशा देने वाला रहा है। वर्षों तक उन्होंने समाज के विविध पक्षों को अपने कैमरे और लेखनी के माध्यम से उजागर किया। उनकी फोटोग्राफी में गहराई और पत्रकारिता में निडरता की झलक साफ नजर आती थी। मुंगेर के कई युवा पत्रकारों ने उन्हें अपना आदर्श मानकर इस क्षेत्र में कदम रखा।
अंतरराष्ट्रीय सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र की अनोखी श्रद्धांजलि
सुबोध सागर को श्रद्धांजलि देने के लिए देश के चर्चित अंतरराष्ट्रीय सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने भी एक विशेष अंदाज अपनाया। उन्होंने पीपल के हरे पत्तों पर सुबोध सागर की तस्वीर बनाकर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं। यह अनूठी कला श्रद्धांजलि पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गई। मधुरेंद्र ने कहा कि सुबोध सागर जैसे कर्मठ और निष्ठावान पत्रकार का यूं असमय चले जाना पत्रकारिता जगत के लिए एक भारी क्षति है।
मधुरेंद्र ने जताई गहरी संवेदना
मधुरेंद्र ने सुबोध सागर के परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि उनका जाना सिर्फ एक पत्रकार का जाना नहीं है, बल्कि एक युग का अंत है। उन्होंने कहा कि सुबोध सागर का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। उनके जैसे समर्पित पत्रकार समाज को दिशा देने का काम करते हैं। मधुरेंद्र ने आगे कहा कि सुबोध सागर की निष्कपट और निष्पक्ष कार्यशैली उन्हें हमेशा अलग बनाती थी, और आने वाली पीढ़ियाँ भी उनके कार्यों से प्रेरणा लेती रहेंगी।
सुबोध सागर का योगदान रहेगा अमिट
सुबोध सागर ने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से न केवल खबरें दीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की आवाज को भी बुलंदी दी। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया, जिनका सीधा प्रभाव समाज पर पड़ा। उनका हर एक फोटो, हर एक रिपोर्ट आज भी मुंगेर की यादों में जीवित है। वे हमेशा सच्चाई के पक्षधर रहे और कभी भी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया।
अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब
उनके अंतिम संस्कार में मुंगेर ही नहीं, आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में पत्रकार, गणमान्य नागरिक और शुभचिंतक शामिल हुए। हर किसी की आँखें नम थीं और दिलों में बस एक ही भावना थी — एक महान पत्रकार को अंतिम प्रणाम। लोग उनके व्यक्तित्व, उनकी सरलता, उनकी प्रतिबद्धता को याद कर रहे थे और एक स्वर में कह रहे थे कि सुबोध सागर जैसे लोग बार-बार जन्म नहीं लेते।
निष्कर्ष
सुबोध सागर का अचानक जाना न केवल मुंगेर के लिए बल्कि पूरे पत्रकारिता जगत के लिए एक गहरी क्षति है। उनके द्वारा स्थापित आदर्श और उनके कार्य हमेशा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे। पत्रकारिता के इस सच्चे सिपाही को पूरे मुंगेर ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी और उनके अविस्मरणीय योगदान को शत-शत नमन किया।