मुंगेर में भामाशाह की 478वीं जयंती पर भव्य शोभा यात्रा और समारोह आयोजित

मुंगेर में आज का दिन एक विशेष ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बना। राष्ट्रभक्त, दानवीर और शूरवीर भामाशाह की 478वीं जयंती के अवसर पर ढोल-नगाड़ों की गूंज और जयकारों के बीच भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में सैकड़ों मोटरसाइकिल सवारों ने भी हिस्सा लिया, जिन्होंने पूरे जोश और उत्साह के साथ अपने काफिले को आगे बढ़ाया। चारों ओर भामाशाह अमर रहें के नारों से वातावरण गूंज रहा था, और श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था।

तिलक मैदान से शोभा यात्रा का शुभारंभ

शोभा यात्रा की शुरुआत शादीपुर स्थित तिलक मैदान से हुई। तैलीक साहू समाज के सैकड़ों लोग पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे थे। हाथों में ध्वज, बैनर और भामाशाह के चित्र लिए हुए समाज के लोग बड़े ही श्रद्धा भाव से यात्रा में सम्मिलित हुए। बैंड-बाजों की मधुर धुनों पर युवा नाचते-गाते आगे बढ़ रहे थे, वहीं वृद्धजन श्रद्धा और गरिमा के साथ कदम बढ़ा रहे थे।

मुख्य चौक-चौराहों से होती हुई यात्रा

यह भव्य यात्रा शहर के प्रमुख चौक-चौराहों से होते हुए निकली। जहां-जहां यात्रा पहुंची, वहां स्थानीय लोगों ने फूलों की वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया। कई जगहों पर मंच बनाकर स्वागत समितियों ने अतिथियों और यात्रा में शामिल प्रतिभागियों का अभिनंदन भी किया। रास्ते में कई स्थानों पर जलपान और विश्राम की व्यवस्था की गई थी, ताकि प्रतिभागी थकान महसूस न करें और पूरी ऊर्जा के साथ यात्रा का हिस्सा बनें।

दलहट्टा स्थित तैलिक साहू भवन पर यात्रा का समापन

शहर भर में उल्लास और गौरव का वातावरण फैलाते हुए यह शोभा यात्रा अंततः दलहट्टा स्थित तैलिक साहू भवन के समीप जाकर समाप्त हुई। समापन स्थल पर समाज के वरिष्ठजनों और आयोजकों द्वारा यात्रा में शामिल सभी लोगों का आभार व्यक्त किया गया।

भामाशाह जयंती समारोह का आयोजन

शोभा यात्रा के उपरांत दोपहर में तैलिक साहू भवन में भव्य भामाशाह जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में मुंगेर के साथ-साथ आसपास के जिलों से भी अनेक गणमान्य अतिथि पहुंचे। अतिथियों ने भामाशाह के जीवन और उनके अतुलनीय योगदान पर अपने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने भामाशाह के बलिदान, उनकी राष्ट्रभक्ति, और उनके आर्थिक योगदान की सराहना करते हुए आज के युवाओं को उनसे प्रेरणा लेने का संदेश दिया।

समाजसेवी कार्यक्रमों का आयोजन

भामाशाह जयंती के अवसर पर केवल शोभा यात्रा और समारोह ही नहीं, बल्कि समाजसेवा से जुड़े कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। रक्तदान शिविर, गरीबों को वस्त्र वितरण, निःशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर जैसे कार्यक्रमों ने इस आयोजन को और भी सार्थक बना दिया। तैलीक साहू समाज ने यह संदेश देने का प्रयास किया कि भामाशाह की भावना केवल श्रद्धांजलि तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके आदर्शों को जीवन में अपनाना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।

स्कूली बच्चों के बीच प्रतियोगिताएं

भामाशाह जयंती के मौके पर स्कूली बच्चों के बीच विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया। चित्रकला, निबंध लेखन, वाद-विवाद और सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताओं में बच्चों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। विजेताओं को सम्मानित कर उनका उत्साहवर्धन किया गया। इस पहल का उद्देश्य बच्चों में भामाशाह के आदर्शों और देशभक्ति की भावना को जागृत करना था।

निष्कर्ष

मुंगेर में आयोजित भामाशाह जयंती का यह भव्य आयोजन न केवल एक ऐतिहासिक विभूति को श्रद्धांजलि देने का माध्यम बना, बल्कि सामाजिक एकता, सेवा और प्रेरणा का भी सशक्त उदाहरण प्रस्तुत किया। इस आयोजन ने समाज के हर वर्ग को एकजुट कर भामाशाह के उच्च आदर्शों को फिर से जीवंत कर दिया। निश्चित रूप से यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

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