मुंगेर में एंबुलेंस पर परिवहन विभाग की बड़ी कार्रवाई, 75 हजार का जुर्माना

मुंगेर जिले में परिवहन विभाग ने एक बड़ी और सख्त कार्रवाई को अंजाम दिया है। सरकारी और निजी दोनों तरह की एंबुलेंसों पर विभाग ने विशेष जांच अभियान चलाया, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत सामने आ गई। जिला परिवहन पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार अलवेला के नेतृत्व में इस जांच अभियान को अंजाम दिया गया, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।

फिटनेस, इंश्योरेंस और टैक्स में भारी गड़बड़ियां

जांच के दौरान पाया गया कि अधिकांश एंबुलेंसों की फिटनेस वैध नहीं थी। कुछ एंबुलेंसों का इंश्योरेंस समाप्त हो चुका था, वहीं कुछ पर टैक्स बकाया था। इतना ही नहीं, कई एंबुलेंसों का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट भी फेल पाया गया। एक एंबुलेंस का तो शीशा तक टूटा हुआ मिला, जो कि मरीजों की सुरक्षा के लिहाज से गंभीर लापरवाही है।

मरीजों की जान पर बन सकती है बात

इन खामियों के कारण इन एंबुलेंसों में यात्रा करना मरीजों और उनके परिजनों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। अगर कोई एंबुलेंस दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है, तो उसमें सवार मरीजों को तत्काल मदद मिलने में परेशानी हो सकती है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या एंबुलेंस केवल नाम की बचाव गाड़ी बनकर रह गई है?

सदर अस्पताल में शुरू हुई जांच, मचा हड़कंप

जांच अभियान की शुरुआत जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल से हुई। टीम ने यहां सरकारी एंबुलेंसों के साथ-साथ एजेंसी द्वारा संचालित एंबुलेंसों की भी जांच की। जैसे ही जांच टीम पहुंची, एंबुलेंस चालकों में हड़कंप मच गया। किसी का इंश्योरेंस नहीं था, तो किसी का फिटनेस प्रमाणपत्र। कुछ एंबुलेंसों में जीपीएस भी चालू नहीं मिला, जो कि ट्रैकिंग के लिए जरूरी है।

चार सरकारी एंबुलेंसों में मिली खामियां

टीम ने चार सरकारी एंबुलेंसों की गहन जांच की, जिनमें से हर एक में कुछ न कुछ कमी पाई गई। एक एंबुलेंस का इंश्योरेंस फेल था, दूसरी का फिटनेस नहीं था, तीसरी में जरूरी दस्तावेजों की कमी थी, जबकि चौथी का शीशा टूटा हुआ पाया गया। यह स्थिति न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ भी है।

निजी नर्सिंग होम की भी जांच

सिर्फ सरकारी एंबुलेंस ही नहीं, शहर के विभिन्न निजी नर्सिंग होम में चल रही एंबुलेंसों की भी जांच की गई। कुल 25 एंबुलेंसों की जांच की गई, जिसमें भारी अनियमितताएं पाई गईं। इनमें से दो निजी एंबुलेंसों पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया।

कुल जुर्माना 75 हजार रुपए

परिवहन विभाग ने इस जांच के बाद कुल 75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना उन एंबुलेंसों पर लगाया गया जो मानकों पर खरी नहीं उतरीं। कुछ एंबुलेंसें ऐसी भी पाई गईं जो सालों से टैक्स नहीं दे रही थीं या जिनका इंश्योरेंस एक साल पहले ही खत्म हो चुका था। विभाग ने स्पष्ट किया है कि अगर आगे भी इस तरह की लापरवाही पाई गई तो एंबुलेंसों को सीज कर दिया जाएगा।

डीटीओ ने दी कड़ी चेतावनी

जिला परिवहन पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार अलवेला ने सख्त लहजे में कहा कि अब केवल उन्हीं एंबुलेंसों को संचालन की अनुमति दी जाएगी जो सभी नियमों और मानकों का पालन करेंगी। उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले समय में जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में चलने वाली एंबुलेंसों की नियमित जांच की जाएगी।

जनता की सुरक्षा सर्वोपरि

यह पूरी कार्रवाई इस बात की ओर इशारा करती है कि अब विभाग जनता की सुरक्षा को सर्वोपरि मानकर काम कर रहा है। मरीजों की जान से खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो भी एंबुलेंस तय मानकों पर खरी नहीं उतरेगी, उस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। चाहे वह सरकारी हो या निजी।

एंबुलेंस सेवा में सुधार की आवश्यकता

यह मामला न सिर्फ नियमों की अनदेखी का है, बल्कि यह सिस्टम की उस खामियों को भी उजागर करता है जहां जीवनरक्षक सेवाएं खुद लापरवाह हो चुकी हैं। एंबुलेंस सेवा, जो कि इमरजेंसी के समय मरीजों के जीवन की डोर होती है, अगर वही असुरक्षित हो जाए तो बड़ा सवाल खड़ा होता है।

अगले कदम की तैयारी

परिवहन विभाग ने संकेत दिया है कि इस तरह की कार्रवाई भविष्य में भी लगातार जारी रहेगी। सभी एंबुलेंस मालिकों को हिदायत दी गई है कि वे जल्द से जल्द अपनी गाड़ियों के कागजात, फिटनेस, इंश्योरेंस और प्रदूषण प्रमाणपत्र दुरुस्त कर लें। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो अगली बार उनकी गाड़ियां जब्त की जा सकती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *