मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर प्रखंड स्थित आरएसके उच्च विद्यालय का मैदान इस बार एक ऐतिहासिक राजनीतिक सभा का गवाह बनने वाला था। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर की “जन सुराज उद्घोष यात्रा” के अंतर्गत इस सभा का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह था। पंडाल, मंच, लाउडस्पीकर की सटीक व्यवस्था, हजारों की संख्या में आने वाले लोगों के लिए बैठने की व्यवस्था और भोजन की तैयारी—सब कुछ बारीकी से किया गया था।
लेकिन मौसम ने लिया करवट, सब कुछ हुआ तहस-नहस
परन्तु जब सब कुछ सुचारू रूप से हो रहा था, तभी मौसम ने अचानक करवट ली। तेज आंधी, बारिश और तूफान ने मिलकर पूरे कार्यक्रम की सूरत बिगाड़ दी। देखते ही देखते विशाल पंडाल तेज हवाओं में धराशायी हो गया। कुर्सियाँ इधर-उधर उड़ने लगीं। कुछ कार्यकर्ता दौड़-दौड़कर पंडाल को बचाने की कोशिश करते दिखे, परंतु तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बारिश के कारण मैदान कीचड़ से भर गया और पूरा स्थल अव्यवस्थित हो गया।
सबको लगा, अब नहीं होगी सभा
बारिश और आंधी ने सबका मनोबल तोड़ दिया। लोगों को लगा कि अब यह सभा रद्द हो जाएगी और प्रशांत किशोर वापस लौट जाएंगे। परंतु प्रशांत किशोर ने अपने मजबूत इरादों का परिचय दिया। उन्होंने मौसम की विकरालता की परवाह किए बिना सभा स्थल पर आने का फैसला लिया।
टूटी व्यवस्था के बीच पहुंचे प्रशांत किशोर
जब प्रशांत किशोर की गाड़ी सभा स्थल पर पहुंची, तो लोग आश्चर्यचकित रह गए। मैदान कीचड़ से सना हुआ था, पंडाल टूटा हुआ और कुर्सियाँ बिखरी हुई थीं। लेकिन इसके बावजूद, प्रशांत किशोर ने न केवल वहाँ आकर जनता का अभिवादन स्वीकार किया, बल्कि उसी टूटी-फूटी व्यवस्था के बीच मंच पर खड़े होकर सभा को संबोधित भी किया।
विरोधियों पर जमकर बरसे प्रशांत किशोर
सभा में प्रशांत किशोर ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने बिहार की जनता के साथ वादा खिलाफी की है। उन्होंने मधुबनी यात्रा में कहा था कि सहरसा से एक ट्रेन चलेंगी, जिससे बिहार के श्रमिक आसानी से गुजरात और महाराष्ट्र जाकर काम कर सकेंगे। इस पर कटाक्ष करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा:
“जब वोट बिहार का है, तो फैक्ट्री भी बिहार में ही लगनी चाहिए। मालिक गुजरात का और मजदूर बिहार का—यह अब नहीं चलेगा। बिहार के लोगों को अब अपना हक खुद लेना होगा।”
जनता का मिला भरपूर समर्थन
इस पूरे घटनाक्रम के बावजूद, सभा में हजारों लोग डटे रहे। कीचड़ में खड़े होकर लोगों ने प्रशांत किशोर की बातें सुनीं और बार-बार तालियों से उनका समर्थन जताया। यह दृश्य दिखाता है कि जनता बदलाव चाहती है, और प्रशांत किशोर की बातों में उन्हें उम्मीद की किरण दिखाई देती है।