जन सुराज के सूत्रधार और रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक दिवसीय दौरे पर बिहार के मुंगेर पहुँचे। यहाँ उन्होंने सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्र सरकार और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बिहार के चुनाव का आतंकवाद या आतंकी हमलों से कोई लेना-देना नहीं है, ये दोनों पूरी तरह अलग मुद्दे हैं और इनका आपस में कोई संबंध नहीं है।
मधुबनी में पीएम मोदी के भाषण पर सवाल
प्रशांत किशोर ने हाल ही में मधुबनी में आयोजित भाजपा की जनसभा को लेकर पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे आतंकवाद की निंदा करते हैं और चाहते हैं कि आतंकियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिले। अगर कोई हमला पाकिस्तान या किसी अन्य देश द्वारा प्रायोजित है तो उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जवाब मिलना चाहिए। लेकिन बिहार आकर आतंकवाद की बातें करना, चुनावी मंच से इस तरह के मुद्दों को उठाना सिर्फ बिहार की जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है।
“आतंकी हमला राष्ट्रीय मुद्दा, चुनाव राज्य का मुद्दा”
प्रशांत किशोर ने कहा कि आतंकवादी हमले का संबंध सीधे-सीधे देश की सुरक्षा और विदेश नीति से है। यह एक ऐसा विषय है जो केंद्र सरकार के अधीन आता है और उस पर दिल्ली या किसी अन्य राष्ट्रीय मंच से बात की जा सकती है। परंतु बिहार का चुनाव बिहार की समस्याओं से जुड़ा है – यहाँ के बच्चों की शिक्षा, युवाओं के रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं, किसानों की बदहाली और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों से।
“प्रधानमंत्री को बिहार में आकर आतंकवाद की बात करने की क्या जरूरत थी?”
उन्होंने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिहार में आकर यह कहने की क्या आवश्यकता थी कि ‘पहलगाम में आतंकी हमले में शामिल किसी को नहीं छोड़ा जाएगा’? यह बयान वे दिल्ली से भी दे सकते थे। इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी कि बिहार की धरती पर आकर इस प्रकार के बयान दिए जाएँ, खासकर तब जब वहाँ चुनावी माहौल बना हुआ हो।
“बिहार के मुद्दों से लोगों को भटकाना बंद करें”
प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि वे जानबूझकर बिहार के असली मुद्दों से लोगों को भटका रहे हैं। उन्होंने कहा – “अगर बिहार की जनता से बात करनी है, तो बिहार के बच्चों की पढ़ाई, बेरोजगारी, स्वास्थ्य व्यवस्था और भ्रष्टाचार जैसे वास्तविक मुद्दों पर बात करिए। पाकिस्तान, चीन और आतंकवाद जैसे मुद्दे उठाकर यहाँ के लोगों को गुमराह करना, न सिर्फ नैतिक रूप से गलत है, बल्कि यह बिहार के सम्मान के साथ भी खिलवाड़ है।”
“जनता अब समझदार है, चुनावी हथकंडे नहीं चलेंगे”
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि अब बिहार की जनता जागरूक हो चुकी है। वह समझ चुकी है कि हर बार चुनाव से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा, पाकिस्तान और आतंकी हमलों का राग अलापना केवल लोगों का ध्यान भटकाने का एक राजनीतिक हथकंडा है। लेकिन अब लोग इन बातों में नहीं आने वाले हैं। जनता अब अपने स्थानीय मुद्दों को लेकर सजग है और उन्हीं मुद्दों के आधार पर सरकार से जवाब चाहती है।
“हम आतंकवाद के खिलाफ, लेकिन मुद्दों की राजनीति के नहीं”
प्रशांत किशोर ने दोहराया कि वे आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हैं और चाहते हैं कि जो भी इसके दोषी हैं उन्हें सज़ा मिले। परंतु उनका यह भी मानना है कि इस संवेदनशील मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए नहीं किया जाना चाहिए, विशेषकर जब वह राज्य से संबंधित नहीं है। उन्होंने कहा – “हर भारतीय चाहता है कि देश में अमन-चैन बना रहे, पर जब आप बिहार की जनता से संवाद कर रहे हों, तो उसकी ज़रूरतों और समस्याओं पर बात होनी चाहिए।”
निष्कर्ष: बिहार के सम्मान और मुद्दों की रक्षा की अपील
अपने बयान के अंत में प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार को सिर्फ एक चुनावी मैदान समझना बंद करिए। यह एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक दृष्टि से समृद्ध राज्य है। यहाँ के लोग अब विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और अवसर की मांग कर रहे हैं। बिहार के चुनाव को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों से जोड़कर जनता को भ्रमित करने की राजनीति को अब जनता नकारेगी। उन्होंने मीडिया और लोगों से अपील की कि वे वास्तविक मुद्दों को उठाएं और नेताओं से उन्हीं पर जवाब माँगें।