मुंगेर, 30 अप्रैल: बिहार के मुंगेर जिले में एक अत्यंत चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण घटना के विरोध में शहरवासियों ने एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद की। यह मामला एक सेवा निवृत सिविल सर्जन डॉ. सुधीर बाबू के घर जबरन घुसकर बिजली काटने और जान से मारने की धमकी से जुड़ा है। यह घटना केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि समाज के बुद्धिजीवी वर्ग और नागरिकों की सुरक्षा पर सीधा प्रश्नचिन्ह है।
घटना की पृष्ठभूमि: असामाजिक तत्वों का आतंक
30 अप्रैल की रात मुंगेर शहर में एक भयावह वाकया उस समय घटित हुआ जब कुछ असामाजिक तत्वों ने सेवा निवृत्त सिविल सर्जन डॉ. सुधीर बाबू के निवास स्थान पर अचानक धावा बोल दिया। “ब्लैकआउट” के नाम पर ये शरारती तत्व जबरन घर में घुसे और वहां की बिजली आपूर्ति को बाधित कर दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने डॉक्टर साहब को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी।
इस प्रकार की घटना न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह दर्शाती है कि शहर में कुछ असामाजिक ताकतें इतनी बेखौफ हो चुकी हैं कि वे समाज के प्रतिष्ठित नागरिकों को भी अपना निशाना बनाने से नहीं चूक रही हैं।
शहर में उबाल: नागरिकों ने निकाला प्रतिरोध मार्च
इस कायराना हमले के विरोध में मुंगेर के नागरिकों ने एकजुट होकर सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया। 1 मई को मुंगेर के विभिन्न सामाजिक संगठनों और नागरिकों के सहयोग से एक शांतिपूर्ण प्रतिरोध मार्च का आयोजन किया गया। यह मार्च कोतवाली थाना क्षेत्र के रामलीला मैदान (दुर्गा स्थान) से शुरू हुआ।
मार्च का मार्ग और जनता की भागीदारी
प्रतिरोध मार्च रामलीला मैदान से निकल कर शहर के प्रमुख चौक-चौराहों से होता हुआ आगे बढ़ा। इस मार्च ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद चौक, गांधी चौक, पटेल चौक और अन्य प्रमुख स्थानों को पार किया। अंत में यह मार्च पुलिस अधीक्षक कार्यालय के समीप पहुंच कर समाप्त हुआ।
मार्च के दौरान नागरिकों ने हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर “हम न्याय चाहते हैं”, “शरारती तत्वों की गिरफ्तारी हो”, “सुरक्षा सबका अधिकार है” जैसे नारे लगाए। महिला, पुरुष, बुजुर्ग और युवा – सभी वर्गों ने इस मार्च में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। यह स्पष्ट संदेश था कि मुंगेर का समाज अब अन्याय और डर के खिलाफ खड़ा हो चुका है।
शिष्टमंडल ने सौंपा ज्ञापन
प्रतिरोध मार्च समाप्त होने के बाद, मुंगेर के सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों का एक शिष्टमंडल मुंगेर के पुलिस अधीक्षक सैय्यद इमरान मसूद से मिला। शिष्टमंडल ने पुलिस अधीक्षक को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें इस घटना की निष्पक्ष जांच करने, दोषियों की जल्द गिरफ्तारी सुनिश्चित करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की गई।
शांति और कानून व्यवस्था की मांग
शिष्टमंडल ने पुलिस प्रशासन को यह भी अवगत कराया कि यदि ऐसी घटनाओं पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई, तो समाज में भय और असुरक्षा का वातावरण बन सकता है। डॉक्टर सुधीर बाबू जैसे सम्मानित नागरिक को धमकी देना यह दर्शाता है कि असामाजिक तत्वों को कानून का कोई डर नहीं रह गया है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि प्रशासन बिना किसी दबाव के दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे।
निष्कर्ष: एकजुटता ही सुरक्षा की कुंजी
मुंगेर में घटित यह घटना समूचे समाज के लिए एक चेतावनी है। लेकिन यह देखकर संतोष हुआ कि मुंगेर की जनता ने एक स्वर में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। यह प्रतिरोध मार्च इस बात का प्रतीक है कि जब समाज के सच्चे नागरिक एकजुट होते हैं, तो असामाजिक ताकतें कमजोर पड़ जाती हैं।
अब ज़रूरत है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करे और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।