आंधी-तूफान से फसल को हुई क्षति का आंकलन करने दियारा पहुंचे अनुमंडल कृषि पदाधिकारी

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : बीते शनिवार को देर रात आई आंधी-तूफान ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. तेज आंधी और मूसलधार बारिश ने रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं और मक्का को भारी नुकसान पहुंचाया है. इस आपदा में दियारा इलाक़ा के खेतों में लगे मक्का का फसल नष्ट हो गया. किसान ने दिसंबर माह में फसल की बुआई की थी और फसल तैयार होने में काफी समय था. इस बीच मक्का फसल के नुकसान हुआ. उधर राज्य व जिला स्तर से कृषि विभाग के पदाधिकारी को निर्देश दिया गया था कि परबत्ता प्रखंड के 18 पंचायतों के किसानों के फसल का नुकसान का आंकलन कर जल्द रिपोर्ट भेजा जाये. जिसको लेकर परबत्ता प्रखंड अंतर्गत भरसों पंचायत के दियारा इलाका में अनुमंडल कृषि पदाधिकारी विपिन कुमार अपने टीम के साथ पहुंचे. इस दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधि व किसान की मौजूदगी में मक्का फसल के नुकसान को लेकर जांच किया गया.

वहीं अनुमंडल कृषि पदाधिकारी ने बताया कि सभी पंचायत के किसान सलाहकार व कृषि समन्यवक को कहा गया है कि जल्द से जल्द सर्वेक्षण रिपोर्ट भेजे. बताया जाता है कि जांच के क्रम पाया गया कि दियारा में लगे सैकड़ो एकड़ मक्का का फसल नष्ट हो गया है. वही स्थानीय किसान ने कृषि विभाग के पदाधिकारी के सामने में अपनी बेबसी वयां करते हुए बताया कि वेलोग परेशान और हताश हैं. कई किसान तो कर्ज लेकर खेती करते हैं और अब फसल की बर्बादी से उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो जाने की संभावना है. साथ ही बताया गया कि प्राकृतिक प्रकोप ने सिर्फ फसलों को ही चौपट नहीं किया, बल्कि किसानों की उम्मीदों और मेहनत पर भी गहरा आघात लगाया है. तूफान से बर्बाद हुए मक्का फसल ने किसानों के समक्ष जीवनयापन का संकट तक खड़ा कर दिया है. अधिकतर किसान पहले से ही खाद, बीज और कीटनाशकों के लिए कर्ज ले चुके हैं और अब फसल बर्बादी के बाद उनके पास न तो अगली बुआई के संसाधन हैं और न ही कर्ज चुकाने की क्षमता. खेतों में खड़ी फसलें आंधी की मार से जमीन पर बिछ गई हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है.

जनप्रतिनिधि ने जताई चिंता, मांगा विशेष पैकेज

जिला परिषद क्षेत्र संख्या 18 के जिप सदस्य जयप्रकाश यादव भी कृषि विभाग के पदाधिकारी के साथ फसल के नुकसान का जायजा लेने पहुंचे. वहीं उन्होंन मांग किया कि संबंधित पदाधिकारी प्रत्येक पंचायत के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर खुद से किसान की समस्या को समझे. साथ ही सरकार को भी चाहिए कि फसल बीमा योजना, आपदा राहत कोष और विशेष सहायता अनुदान जैसी योजनाओं के तहत किसानों को तत्काल राहत दी जाए.

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