केन्द्र सरकार ने देश में जाति गणना कराने का फैसला किया है. बुधवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट ने इसे हरी झंडी दे दी. इस बारे में सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस फैसले की जानकारी देते हुए विभिन्न राज्यों में जातिगत गणना के नाम पर चल रहे जाति सर्वेक्षणों पर सवाल उठाए. उन्होंने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत जनगणना का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है, इसलिए राज्यों को जातिवार गणना कराने का अधिकार नहीं है. वैष्णव ने कहा कि कई राज्यों ने सर्वेक्षण के माध्यम से जातियों की जनगणना का दावा किया है, लेकिन उन पर राजनीतिक लाभ के लिए गैर-पारदर्शी तरीके से सर्वेक्षण कराने के आरोप लगे हैं. जाहिर है इस प्रकार के जातीय सर्वे ने समाज में भ्रांति फैलाने का काम किया.

कैबिनेट कमेटी की बैठक में लिया गया फैसला जातिवार गणना को लेकर पिछले कुछ वर्षों से तेज हुई राजनीति के बीच केंद्र सरकार की इस घोषणा के अनुसार अगले साल संभावित जनगणना के साथ ही जातिवार गणना भी होगी. यह आजादी के बाद पहली बार होगा जब जातिवार गणना की जाएगी, क्योंकि इससे पहले कई बार जाति सर्वेक्षण हुए हैं, लेकिन पूरी गणना नहीं की गई. इस फैसले के साथ राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल जहां इसे अपनी जीत बता रहे हैं, वहीं भाजपा की ओर से स्पष्ट किया गया कि कांग्रेस की सरकारों ने ही जातिगत गणना का विरोध और कहा गया कि अब पहली बार जातिवार गणना होने जा रही है.

इस फैसले के बाद एकबारगी जहां देश का ध्यान पाकिस्तान से हटकर घरेलू राजनीति पर आया, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक झटके में विपक्ष का बड़ा चुनावी मुद्दा भी छीन लिया. बिहार में अक्टूबर-नवंबर में होने बिहार चुनाव से पहले विपक्षी महागठबंधन इसे प्रमुख मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहा था.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाति जनगणना कराने का केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि जाति जनगणना कराने की हमलोगों की मांग पुरानी है. जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा जिससे उनके उत्थान एवं विकास के लिए योजनाएं बनाने में सहूलियत होगी. इससे देश के विकास को गति मिलेगी. इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिनंदन तथा धन्यवाद.
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