ऐसी शिक्षा का क्या लाभ, जो हमें अपने मां-बाप का सम्मान करना न सिखाए : देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

मानव जीवन में संतों का दर्शन और भगवान की कथा का श्रवण सबसे दुर्लभ और महान कृपा है। यह केवल भाग्यशाली लोगों को ही प्राप्त होता है उक्त बातें शहर के आईटीआई मैदान में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन परम पूज्य देवकी नंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा।  उन्होंने कहा कि संसार में धन, पद और प्रतिष्ठा का होना कोई विशेष बात नहीं है, क्योंकि ये सब नश्वर हैं। वास्तव में महत्वपूर्ण है – धर्म के मार्ग पर चलना, अपने कर्तव्यों का पालन करना और जीवन को आध्यात्मिक दिशा में मोड़ना।

 

रावण जैसे विद्वान, जिसे समस्त वेदों का ज्ञान था, उसका पतन इसलिए हुआ क्योंकि उसने धर्म का पालन नहीं किया। ज्ञान, शक्ति और सामर्थ्य होने के बावजूद, जब जीवन में धर्म का अभाव होता है तो विनाश निश्चित है। इससे हमें यह सीख लेनी चाहिए कि केवल बुद्धिमत्ता या शिक्षा से कुछ नहीं होता, जब तक उसका उपयोग सही दिशा में न किया जाए।

आज का मानव अपने माता-पिता का आदर नहीं करता। जब बच्चे पढ़-लिख जाते हैं, आत्मनिर्भर बनते हैं, तब वे अपने जीवनदाताओं का ही तिरस्कार करने लगते हैं। ऐसी शिक्षा का क्या लाभ, जो हमें अपने मां-बाप का सम्मान करना न सिखाए? यह शिक्षा नहीं, केवल सूचनाओं का भंडार है। सच्ची शिक्षा वही है जो संस्कार दे, चरित्र निर्माण करे और परिवार, संस्कृति व समाज से जोड़ कर रखे। संसार का सबसे बड़ा धन कोई भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि मां-बाप का आशीर्वाद है। उनके स्नेह और आशीर्वाद में वह शक्ति है जो जीवन की सबसे कठिन राहों को भी आसान बना सकता है। माता-पिता का सम्मान और सेवा करना ही जीवन की सच्ची उपलब्धि है।

जो लोग भारत की संस्कृति, भाषा और परंपरा को नहीं मानते, उनके विचारों की हमें आवश्यकता नहीं है। हमें गर्व होना चाहिए अपनी जड़ों पर, अपनी मातृभाषा पर और उस धर्म पर जो “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना से सबको जोड़ता है। कार्यक्रम में विजय मिश्र, कल्लू राय, सौरभ तिवारी, बिक्की राय, सुमित राय, श्याम राय, रोहित मिश्र, दीपक सिंह, दीपक  यादव, निशु राय, विकास राय, आशु राय, अमित पाठक, अविनाश पाण्डेय, नवीन राय, अक्षय ओझा, पुटुस राय, पवन, बैजू, कौशल समेत हजारों लोग उपस्थित रहे।

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