न्यूज़ विज़न। बक्सर
शहर के नया बाजार स्थित सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में पूज्य नारायण दास भक्तमाली उपाख्य मामाजी महाराज के पावन स्मृति में आश्रम के महंत सह श्री विश्वामित्र पीठाधीश्वर श्री राजाराम शरण दास जी महाराज के सानिध्य में चल रहे 17वें श्री प्रिया प्रियतम मिलन महोत्सव के तीसरे दिन संध्या 3 बजे से काशी से आये कथा वाचक डॉक्टर पुंडरीक शास्त्री ने श्रीमद्भागवत में तीन प्रकार के श्रोता की कथा सुनाया।
कथा वाचक डॉक्टर पुंडरीक शास्त्री काशी ने कथा के दौरान कहा कि श्रीमद्भागवत में तीन प्रकार के श्रोता है उत्तम कोटि मध्य कोटि और सामान्य कोटि उत्तम कोटि के श्रोता और वक्ता परीक्षित और शुकदेव हैं मध्य कोटि के वक्त और श्रोता नारद और व्यास है तथा सामान्य कोटि के वक्त और श्रोता सूत और शौनक है श्री सूतजी महाराज से सनक आदि ऋषियों ने 6 प्रश्न किया इन्हीं प्रश्नों के उत्तर में श्री उग्रश्रवा ने श्रीमद् भागवत कथा का उपदेश किया सूत जी ने यह बताया कि श्रीमद् भागवत में भगवान के 24 अवतारों का वर्णन है। गायत्री मंत्र की व्याख्या ही भागवत महापुराण की कथा है नारद और व्यास संवाद की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान वेद व्यास 17 पुराणों की रचना करने के बाद भी जब संतुष्ट नहीं हुए तब उनको नारद ने श्रीमद् भागवत महापुराण रचना करने की अनुमति प्रदान किया और बताया कि यह भागवत भगवान का साक्षात स्वरूप है इसी से जीव का परम कल्याण होता है नारद की प्रेरणा से व्यास ने भागवत का प्रणयन किया भागवत की कथा अपने पुत्र शुकदेव को पढाया और उन्होंने यही कथा राजा परीक्षित को श्रवण कराई महाराज परीक्षित ने यह प्रश्न किया कि करने वाले जीव को क्या करना चाहिए इस प्रश्न का आदर करते हुए महामुनि सुखदेव जी ने कहा कि है राजन मनुष्य का डे दुर्लभ दे है और इस शरीर को भी प्राप्त करने के बाद यदि हम भगवान का भजन नहीं करते हैं तो हमारे जैसा अभागा कौन होगा।
जीवन में चार बातें याद रखना आवश्यक है आसन की सिद्धि, प्राण का नियंत्रण, संग दोष से बचाना इंद्रियों पर सदा नियंत्रण रखना यह संपूर्ण संसार परमात्मा का स्वरूप है और इसके बाद सृष्टि के क्रम का वर्णन और ब्रह्मा जी के उत्पत्ति की कथा सुनाई आगे की कथा में मैत्रेय और विदुर का संवाद वर्णन करते हुए भगवान वराह की अवतार की कथा सुनाई अपने भक्तों के कल्याण के लिए भगवान विभिन्न अवतार धारण करके धारा धाम पर आते हैं।