RTE के तहत निजी स्कूलों की मनमानी से मात्र 1016 बच्चों का हुआ चयन

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत निजी स्कूलों में गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के नामांकन की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। जिले के 762 निबंधित निजी स्कूलों में से केवल 473 स्कूलों ने ही अपनी सीटों की जानकारी अपलोड की। जिससे हजारों बच्चों के भविष्य पर संकट मंडराने लगा है।

राज्य मुख्यालय द्वारा संचालित रेंडमाइजेशन प्रक्रिया के तहत 1316 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 8 को त्रुटि के कारण रिजेक्ट कर दिया गया। शेष 1016 बच्चों को निजी स्कूलों में नामांकन के लिए चुना गया और उन्हें एसएमएस के माध्यम से आवंटित स्कूलों की जानकारी दी गई। हालांकि जिले के कई निजी स्कूल इस नामांकन प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं और चयनित बच्चों को प्रवेश देने में आनाकानी कर रहे हैं।

शिक्षा विभाग ने सख्त निर्देश जारी किए हैं कि कोई भी निजी स्कूल चयनित बच्चों के नामांकन में भेदभाव नहीं करेगा और उन्हें सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी। इसके लिए सभी खंड शिक्षा पदाधिकारियों (BEO) को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर अभिभावकों को RTE की जानकारी देने और अधिक से अधिक बच्चों को इस योजना का लाभ दिलाने का निर्देश दिया गया है।

पहले चरण में नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद जल्द ही दूसरे चरण के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू होगी। इसके लिए ज्ञानदीप पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन लिया जाएगा। कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर मुफ्त नामांकन के लिए आवेदन करना होगा।

लेकिन आरटीई के तहत नामांकन प्रक्रिया में निजी स्कूलों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। कई स्कूलों ने अब तक अपनी सीटें घोषित नहीं की हैं, जिससे यह साफ झलकता है कि वे इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने में रुचि नहीं रखते।

जबकि बीईओ को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि चयनित बच्चों का नामांकन सही तरीके से किया जा रहा है या नहीं। यदि किसी भी स्कूल द्वारा इस प्रक्रिया में गड़बड़ी की जाती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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