राजगीर (नालंदा दर्पण)। कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने और मिट्टी की उर्वरता की सटीक जांच के लिए राजगीर में अत्याधुनिक उपकरणों से लैस अनुमंडलीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला खोली गई। इसका उद्घाटन विगत 17 फरवरी को बिहार के कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने किया। इस पहल से किसानों को उम्मीद थी कि अब वे अपनी मिट्टी की जांच कराकर उचित उर्वरकों और फसल चक्र की योजना बना सकेंगे।
लेकिन उद्घाटन के दो सप्ताह बाद भी इस प्रयोगशाला में मिट्टी जांच की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। तकनीकी पदाधिकारियों और स्टाफ की कमी के कारण यह सुविधा किसानों को अभी तक नहीं मिल पाई है। जिससे वे निराश हैं।
राजगीर की इस मिट्टी जांच प्रयोगशाला में आठ कर्मियों की नियुक्ति प्रस्तावित थी। लेकिन अब तक केवल एक सहायक तकनीकी प्रबंधक की ही तैनाती हुई है। यहां सहायक शोध पदाधिकारी (2 पद), लैब टेक्नीशियन (2 पद), कंप्यूटर ऑपरेटर (2 पद) और एक आदेशपाल का पद रिक्त है।
राजगीर के किसानों के लिए यह प्रयोगशाला एक बड़ी राहत हो सकती थी। क्योंकि अब तक उन्हें मिट्टी जांच के लिए बिहारशरीफ के प्रयोगशाला जाना पड़ता था। जिसमें अतिरिक्त समय और खर्च होता था। लेकिन जब उद्घाटन के बाद भी जांच शुरू नहीं हुई तो किसानों को मायूसी हाथ लगी। प्रशासन द्वारा किसानों को फिर से बिहारशरीफ जाकर मिट्टी जांच कराने की सलाह दी जा रही है। जिससे उनकी समस्याएं बनी हुई हैं।
बता दें कि मिट्टी की उर्वरता और पोषक तत्वों का विश्लेषण किसानों के लिए बेहद जरूरी है। ताकि वे उचित उर्वरकों का प्रयोग कर फसल की उत्पादकता बढ़ा सकें। सरकार द्वारा इस प्रयोगशाला की स्थापना का उद्देश्य भी यही था कि किसानों को सटीक जानकारी मिले और वे संतुलित फसल चक्र अपनाकर खेती करें।
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