बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल बिहारशरीफ सदर अस्पताल जहां स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के तमाम दावे किए जाते हैं, वहां आज भी ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति एक चुनौती बनी हुई है। यहां आधुनिक ऑक्सीजन प्लांट तो मौजूद है। लेकिन पिछले 14 महीनों से यह बंद पड़ा है। नतीजतन अस्पताल प्रबंधन को हर महीने 200 से 225 सिलिंडर बाहर से मंगाने पड़ रहे हैं। जिससे न सिर्फ अनावश्यक खर्च बढ़ रहा है, बल्कि अस्पताल में ऑक्सीजन आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है।
बता दें कि यह ऑक्सीजन प्लांट जब शुरू हुआ था, तब उम्मीद थी कि वार्ड-टू-वार्ड पाइपलाइन के जरिए मरीजों तक सीधी ऑक्सीजन आपूर्ति होगी और सिलिंडर की जरूरत नहीं पड़ेगी। शुरुआत में 8-10 महीने तक प्लांट सुचारू रूप से चला। लेकिन फिर अचानक बंद हो गया।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार पुराने एजेंसी का टेंडर समाप्त हो जाने के कारण यह प्लांट बंद हो गया। लेकिन सवाल यह उठता है कि 14 महीनों में नए टेंडर की प्रक्रिया क्यों नहीं पूरी हो सकी? क्या यह लापरवाही है या इसके पीछे कोई साजिश?
बिहारशरीफ सदर अस्पताल में रिफलिंग स्टेशन भी बनाने की योजना थी। जिससे पूरे जिले के अनुमंडल, प्राथमिक एवं रेफरल अस्पतालों को ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध कराए जा सकते थे। तीन महीने पहले इस कार्य को लेकर तेजी देखी गई थी। लेकिन अब तक जरूरी संसाधन और मशीनें उपलब्ध नहीं कराई गई हैं।
अस्पताल की उपाधीक्षक डॉ. कुमकुम का कहना है कि विभाग को प्लांट के मेंटनेंस और दोबारा शुरू करने के लिए पत्राचार किया गया है। लेकिन फिलहाल अस्पताल को ऑक्सीजन सिलिंडर पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है।
एक महीने पहले इंजीनियरों की टीम प्लांट और रिफलिंग स्टेशन का निरीक्षण करने पहुंची थी, लेकिन उसके बाद अब तक कोई प्रगति नहीं हुई। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही रिफलिंग स्टेशन का निर्माण कार्य शुरू होगा।
अब सवाल यह है कि क्या यह केवल लापरवाही है या फिर जानबूझकर प्लांट को बंद रखा गया है। ताकि बाहरी सप्लायरों को फायदा पहुंचाया जा सके? कहीं ऐसा तो नहीं कि सिलिंडर आपूर्ति में कमीशनखोरी का खेल चल रहा है? क्योंकि यदि प्लांट चालू हो जाता है तो सिलिंडर की मांग ही खत्म हो जाएगी और इससे बाहरी आपूर्तिकर्ताओं को बड़ा नुकसान होगा।
बहरहाल, स्थानीय लोग और मरीजों के परिजन इस स्थिति से बेहद परेशान हैं। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट फिर से चालू होगा और रिफलिंग स्टेशन की योजना भी साकार होगी। ताकि भविष्य में मरीजों को किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े।
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