हिलसा (नालंदा दर्पण)। एकंगरसराय प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय महमदपुर महुआ बाग में शिक्षकों की मनमानी और लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शिक्षा विभाग और कतिपय शिक्षकों के बीच ‘चूहा-बिल्ली’ का खेल चल रहा है। शिक्षक बिना स्कूल गए ही अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे थे।
दरअसल यह मामला तब उजागर हुआ, जब उपरी निर्देश सूचना पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विजय शंकर प्रसाद ने उत्क्रमित मध्य विद्यालय महमदपुर महुआ बाग का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान विद्यालय की अधिकांश शिक्षक और शिक्षिकाएं उपस्थिति दर्ज कर गायब पाए गए। विद्यालय में केवल एकमात्र शिक्षिका रंजु कुमारी ही उपस्थित थीं।
ग्रामीणों से पूछताछ करने पर यह खुलासा हुआ कि शिक्षक और शिक्षिकाएं प्रतिदिन सुबह स्कूल आते हैं, उपस्थिति बनाते हैं और फिर विद्यालय से गायब हो जाते हैं। यह उनका रोजाना धंधा बन गया है।
पता चला कि शिक्षकों द्वारा ई-शिक्षाकोष एप का भी दुरुपयोग किया जा रहा है। इस एप के माध्यम से उनकी उपस्थिति कभी गाड़ी में सीट बेल्ट लगाते हुए कभी ऑटो में बैठकर तो कभी सड़क पर चलते हुए दर्ज की गई है। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि विद्यालय के प्रधानाध्यापक अशोक रविदास ने इस अनियमितता की सूचना प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को नहीं दी।
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विजय शंकर प्रसाद ने विद्यालय में पाई गई अनियमितताओं पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने संबंधित शिक्षकों को कर्तव्यहीनता, स्वेच्छाचारिता और मनमानी का दोषी मानते हुए उनका सात दिन का वेतन काटने और 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने का सख्त निर्देश दिया है।
इस कार्रवाई में प्रधानाध्यापक अशोक रविदास के साथ शिक्षिका प्रियंका कुमारी, सीमा कुमारी, रिपु कुमारी और आदित्य सौरभ को भी शामिल किया गया है। इन शिक्षकों पर आरोप है कि वे नियमित रूप से स्कूल नहीं आते और अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे थे।
ग्रामीणों के अनुसार स्कूल में पढ़ाई की स्थिति बेहद खराब है। शिक्षकों की इस तरह की लापरवाही ने छात्रों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो सके।
यह मामला न केवल शिक्षा विभाग की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह से कुछ शिक्षक अपने जिम्मेदारियों से दूर भाग रहे हैं। शिक्षा विभाग की इस कड़ी कार्रवाई से उम्मीद की जा रही है कि अन्य शिक्षकों को भी एक सख्त संदेश मिलेगा और वे अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेंगे।
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