जमाबंदी से आधार लिंक की प्रक्रिया में हिलसा अव्वल, रहुई फिसड्डी

हिलसा (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में जमीन से संबंधित फर्जीवाड़े को रोकने के लिए आधार से जमाबंदी को लिंक करने की प्रक्रिया जोरों पर है। जैसे-जैसे जिले में जमीन सर्वे का कार्य आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे रैयतों (जमीन मालिकों) में अपनी जमाबंदी को आधार से जोड़ने के प्रति रुचि बढ़ती जा रही है। सर्वे के बाद लोग अपनी जमीन के कागजात को अपडेट करने के लिए जागरूक हो रहे हैं और खतियान, दाखिल-खारिज, लगान रसीद जैसे जरूरी दस्तावेज जुटाने में लगे हैं।

हालांकि, जिले में अभी भी एक लाख से अधिक जमीनों का आधार सीडिंग बाकी है। इस मामले में हिलसा अंचल सबसे आगे है, जहां 96 प्रतिशत जमाबंदी को आधार से लिंक किया जा चुका है। वहीं रहुई अंचल सबसे पीछे चल रहा है। जिले में अब तक के सर्वे के मुताबिक कुल 8 लाख 44 हजार 773 रैयतों के नाम जमाबंदी दर्ज है। जिसमें से 7 लाख 44 हजार 313 जमाबंदी का आधार से लिंक हो चुका है। शेष 1 लाख 460 जमाबंदी को आधार से जोड़ने का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है।

शहरी क्षेत्र में जागरूकता, ग्रामीण इलाकों में सुस्तीः जमाबंदी को आधार से लिंक करने के प्रति ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में रैयतों की जागरूकता अधिक देखी जा रही है। हिलसा, राजगीर, परवलपुर, इस्लामपुर, नगरनौसा, करायपरसुराय, थरथरी, एकंगरसराय, नूरसराय, अस्थावां, गिरियक और कतरीसराय जैसे अंचलों में 90 प्रतिशत से अधिक रैयतों ने अपनी जमाबंदी को आधार से लिंक करा लिया है। जिले का ओवरऑल औसत 88 प्रतिशत है। लेकिन रहुई अंचल इस मामले में औसत से भी पीछे है, जहां केवल 73 प्रतिशत रैयतों ने यह प्रक्रिया पूरी की है।

फर्जीवाड़ा पर अलर्ट का मैसेजः जमाबंदी को आधार से लिंक करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जमीन के कागजात में किसी भी तरह की हेरफेर या गलत तरीके से जमीन की बिक्री होने पर रैयतों को तुरंत मोबाइल पर एसएमएस के जरिए अलर्ट मैसेज मिलेगा। इसके लिए जमाबंदी को आधार से लिंक कराते समय रैयत को अपना मोबाइल नंबर दर्ज करना अनिवार्य है। साथ ही, राजस्व कर्मचारी को आधार कार्ड और लगान रसीद की फोटोकॉपी भी जमा करनी होती है। यह कदम जमीन से जुड़े फर्जीवाड़े को रोकने में कारगर साबित होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *