Bihar land survey: अब रैयतों को स्वघोषणा जमा करना हुआ आसान, जानें डिटेल

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार में चल रहे जमीन सर्वेक्षण (Bihar land survey) के तहत रैयतों के लिए स्वघोषणा जमा करने की प्रक्रिया को और आसान बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य में 31 मार्च 2025 तक की अंतिम तिथि तक कुल एक करोड़ 15 लाख 916 स्वघोषणाएं प्राप्त हुई हैं। हालांकि कुछ जिलों में स्वघोषणा की संख्या उम्मीद से काफी कम रही है। यह जानकारी हाल ही में हुई जमीन सर्वे की समीक्षा बैठक के दौरान सामने आई।

इस बैठक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री संजय सरावगी ने खराब प्रदर्शन वाले शिविरों के कर्मियों को कड़ा संदेश दिया है। उन्हें 15 दिनों के भीतर अपने प्रदर्शन में सुधार लाने की चेतावनी दी गई है। अन्यथा कार्यमुक्त करने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

यह समीक्षा बैठक पुराने सचिवालय स्थित मंत्री के कार्यालय कक्ष में आयोजित की गई थी। बैठक में विभाग के सचिव जय सिंह सहित सर्वे निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। मंत्री सरावगी ने बैठक के बाद आम लोगों से अपील की कि वे स्वघोषणा के लिए अभी अपने पास मौजूद जमीन के कागजात ही जमा कर दें। उन्होंने कहा कि बाकी कागजातों का इंतजाम धीरे-धीरे खानापूरी की प्रक्रिया तक पूरा किया जा सकता है। इससे रैयतों पर अतिरिक्त दबाव कम होगा और प्रक्रिया में तेजी आएगी।

बैठक में स्वघोषणा जमा करने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ाने की संभावना पर भी चर्चा हुई। इस दौरान तिथि बढ़ाने से जुड़ी तकनीकी और विधिक चुनौतियों पर विचार-मंथन किया गया। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय अभी लिया जाना बाकी है। मंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि सर्वे प्रक्रिया में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

समीक्षा के दौरान यह बात भी सामने आई कि सर्वर की खराबी के कारण कई इलाकों में जमीन सर्वे की प्रगति प्रभावित हुई है। इस संबंध में अधिकारियों से काफी शिकायतें मिल रही थीं। निदेशालय की आईटी टीम ने बताया कि सभी नौ प्रमंडलों का डाटा अलग करने में समय लगा। लेकिन अब यह प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। टीम ने आश्वासन दिया कि तकनीकी समस्याओं को जल्द दूर कर लिया जाएगा। ताकि सर्वे कार्य में और तेजी लाई जा सके।

मंत्री संजय सरावगी ने कहा कि सरकार का मकसद रैयतों को परेशानी से बचाना और जमीन सर्वे को पारदर्शी व सुगम बनाना है। स्वघोषणा के लिए कागजात जमा करने की प्रक्रिया को लचीला रखा गया है। ताकि आम लोग बिना तनाव के इसमें हिस्सा ले सकें। उन्होंने यह भी आह्वान किया कि जिन जिलों में स्वघोषणा की संख्या कम है, वहां के अधिकारी और कर्मचारी जागरूकता अभियान चलाएं और लोगों को प्रोत्साहित करें।

बता दें कि बिहार में जमीन सर्वे का यह अभियान राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। जिससे भूमि विवादों को कम करने और रिकॉर्ड को अपडेट करने में मदद मिलेगी। सरकार की ओर से इसे समयबद्ध तरीके से पूरा करने की योजना है। ताकि रैयतों को जल्द से जल्द इसका लाभ मिल सके।

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