8 साल के बच्चे ने आग की लपटों में कूदकर 8 माह की बहन को बचाया

हिलसा (नालंदा दर्पण)। हिलसा थाना क्षेत्र अंतर्गत बड़की घोसी गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को हैरान कर दिया। सुबह एक घर में चूल्हे की चिंगारी से लगी आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। जिसमें 8 महीने की मासूम बच्ची फंस गई। आग की भयावह लपटों के बीच जहां गांव वाले बच्ची को बचाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। वहीं उसका 8 साल का भाई नीरज पांडेय अपनी जान जोखिम में डालकर नन्ही बहन मंगली कुमारी को बचाने के लिए आग में कूद पड़ा। इस साहसिक कदम ने न सिर्फ उसकी बहन की जान बचाई, बल्कि एक मिसाल भी कायम की। हालांकि इस दौरान दोनों भाई-बहन बुरी तरह झुलस गए और उन्हें इलाज के लिए पटना रेफर किया गया।

प्रत्यक्षदर्शियों और परिवार के अनुसार सुबह के वक्त डोमन पांडेय की पत्नी लकड़ी के चूल्हे पर खाना बना रही थीं। पास ही उनकी 8 माह की बेटी मंगली कुमारी खेल रही थी और घर में चना व मसूर का बोझा रखा हुआ था। खाना बनाते समय डोमन की पत्नी किसी जरूरी काम से बाहर चली गईं। इसी बीच चूल्हे से निकली एक चिंगारी ने चना-मसूर के बोझे को अपनी चपेट में ले लिया। देखते ही देखते आग ने पूरे घर को घेर लिया और लपटें आसमान छूने लगीं। घर से धुआं उठता देख ग्रामीण मौके पर पहुंचे। लेकिन आग की भयानकता ऐसी थी कि कोई भी अंदर जाने की हिम्मत नहीं कर सका।

इसी बीच 8 साल का नीरज अपनी बहन को आग में फंसा देख बेचैन हो उठा। बिना एक पल सोचे उसने अपनी जान की परवाह न करते हुए आग की लपटों में छलांग लगा दी। किसी तरह वह अपनी 8 माह की बहन मंगली को गोद में उठाकर बाहर निकला। इस दौरान दोनों भाई-बहन आग की चपेट में आ गए और बुरी तरह झुलस गए। नीरज की इस बहादुरी को देख ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं। लेकिन उनकी हालत देखकर सभी का दिल भी भर आया।

घटना के तुरंत बाद दोनों बच्चों को इलाज के लिए हिलसा के अनुमंडलीय अस्पताल ले जाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उनकी गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें पटना रेफर कर दिया। डोमन पांडेय ने बताया कि इस अगलगी में उनका पूरा घर जलकर राख हो गया। घर में बंधी दो बकरियां जिंदा जल गईं और सारा सामान नष्ट हो गया। मौके पर पहुंची अग्निशमन दस्ते की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। लेकिन तब तक सब कुछ तबाह हो चुका था।

गांव में नीरज की बहादुरी की चर्चा जोरों पर है। लोग इस नन्हे बच्चे के साहस की तारीफ कर रहे हैं। यह घटना न केवल एक परिवार के लिए दुखद है, बल्कि एक छोटे बच्चे की हिम्मत और भाई-बहन के अटूट रिश्ते की मिसाल भी पेश करती है। नीरज की बहादुरी की कहानी आने वाले दिनों में लोगों के बीच प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

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