राजगीर (नालंदा दर्पण संवाददाता)। बिहार के राजकीय फार्मेसी कॉलेजों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। इन कॉलेजों में रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में है। उम्मीद जताई जा रही है कि मई 2025 तक ये नियुक्तियां पूरी कर ली जाएंगी। इस पहल से न केवल शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि फार्मेसी शिक्षा को भी नया बल मिलेगा।
स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में अतिथि शिक्षकों के चयन के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसके आधार पर मेधा सूची तैयार की गई है। इस सूची में कुल 35 अभ्यर्थियों का चयन किया गया है, जबकि 40 आवेदकों को अयोग्य घोषित किया गया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी अभ्यर्थी को मेधा सूची में कोई आपत्ति है तो वे 24 अप्रैल 2025 तक दावा-आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। इसके बाद नियुक्ति प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा।
बिहार में वर्तमान में पांच राजकीय फार्मेसी संस्थान- बांका, सीवान, पावापुरी और सासाराम कुल 6 संविदा शिक्षकों और 16 अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। मानकों के अनुसार प्रत्येक संस्थान में 12 शिक्षकों के पद सृजित हैं। लेकिन अधिकांश पद रिक्त हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 26 अतिथि शिक्षकों की बहाली के लिए विज्ञापन जारी किया था। जिसका परिणाम अब सामने है।
सरकार ने अतिथि शिक्षकों के लिए मानदेय को भी आकर्षक बनाया है। गेस्ट फैकल्टी के रूप में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसरों को प्रति घंटा 1500 रुपये या अधिकतम 50000 रुपये मासिक मानदेय देने का प्रावधान किया गया है। इस कदम से न केवल योग्य शिक्षकों को आकर्षित किया जा सकेगा, बल्कि शिक्षण कार्य में निरंतरता भी सुनिश्चित होगी।
बताया जाता है कि यह कदम बिहार में फार्मेसी शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने की दिशा में है। शिक्षकों की कमी के कारण कई संस्थानों में पाठ्यक्रम समय पर पूरा नहीं हो पा रहा था। जिसका असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा था। अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति से न केवल शिक्षण कार्य सुचारू होगा, बल्कि छात्रों को बेहतर मार्गदर्शन भी मिलेगा।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दावा-आपत्ति की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मई 2025 तक सभी चयनित अतिथि शिक्षकों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए जाएंगे। इसके साथ ही विभाग भविष्य में स्थायी शिक्षकों की भर्ती के लिए भी योजना बना रहा है। ताकि फार्मेसी शिक्षा को और मजबूती मिल सके।
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