राजगीर (नालंदा दर्पण)। कतरीसराय थाना क्षेत्र के मैराबरीठ पंचायत अंतर्गत बरीठ गांव में एक दुखद घटना (Negligence) ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। बिजली मिस्त्री पवन कुमार की करंट लगने से मौत हो गई। यह हादसा उस समय हुआ, जब वह गांव में बिजली के पोल पर केबल तार बदलने का कार्य कर रहा था। इस घटना ने न केवल बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि सुरक्षा मानकों की अनदेखी को भी उजागर किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बरीठ गांव के पश्चिम टोला में जोड़ा बाबा के समीप बिपीन प्रसाद के घर के पास पवन कुमार बिजली के पोल पर चढ़कर काम कर रहे थे। यह कार्य विक्रांत एजेंसी द्वारा शुरू किए गए केबल तार रिकंडक्टिंग प्रोजेक्ट का हिस्सा था। बताया जाता है कि कार्य शुरू करने से पहले ट्रांसफार्मर से लाइन काट दी गई थी। लेकिन अचानक बिजली प्रवाहित होने के कारण पवन कुमार को जोरदार झटका लगा। झटके के कारण वह पोल से नीचे गिर पड़े, जिससे उनके नाक और मुंह से खून निकलने लगा।
स्थानीय ग्रामीणों और उनके साथ काम करने वाले मजदूरों ने तुरंत उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पहुंचाया। वहां चिकित्सकों ने उनकी गंभीर हालत को देखते हुए प्राथमिक उपचार के बाद पावापुरी विम्स रेफर कर दिया। दुर्भाग्यवश पावापुरी ले जाने के दौरान रास्ते में ही पवन कुमार ने दम तोड़ दिया।
मृतक की पहचान पूर्वी चंपारण जिले के सुपौलिया थाना क्षेत्र के गोविंदपुर गांव निवासी पवन कुमार के रूप में हुई है। उनकी असामयिक मृत्यु से उनके परिवार और गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।
घटना के बाद बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर (जेई) ने बताया कि कार्य शुरू करने से पहले लाइन का शटडाउन नहीं लिया गया था। सामान्य प्रक्रिया के तहत ट्रांसफार्मर से स्विच डाउन कर कार्य किया जा रहा था। जेई ने कहा कि घटना के समय ट्रांसफार्मर की लाइन कटी हुई थी। फिर भी पोल में बिजली प्रवाहित होना आश्चर्यजनक है। प्रारंभिक जांच में संदेह जताया जा रहा है कि किसी उपभोक्ता ने दो अलग,अलग ट्रांसफार्मरों से अवैध कनेक्शन ले रखा था। जिसके कारण बिजली सप्लाई बंद नहीं हुई।
जेई ने आगे कहा कि यह एक गंभीर लापरवाही का मामला है। जांच के बाद दोषी उपभोक्ताओं पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने इस घटना की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। ताकि हादसे के सटीक कारणों का पता लगाया जा सके।
इस घटना ने बिजली विभाग और ठेका एजेंसियों द्वारा अपनाए जा रहे सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बिजली मिस्त्रियों को अक्सर बिना उचित सुरक्षा उपकरणों के खतरनाक परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। साथ ही बिजली लाइनों की उचित जांच और शटडाउन प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है, जिसके कारण ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं।
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