इस्लामपुर (नालंदा दर्पण)। इस्लामपुर नगर परिषद क्षेत्र में लाखों रुपये की लागत से निर्मित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। कभी क्षेत्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का प्रमुख केंद्र रहा यह अस्पताल अब देखरेख के अभाव में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है। स्थानीय लोग इसे ‘भूतबंगला’ कहने लगे हैं। क्योंकि इसकी जर्जर दीवारें, बिखरे कूड़े-कचरे और खराब उपकरण किसी भयावह दृश्य से कम नहीं हैं।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कमरों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी है। दीवारों का रंग-रोगन उखड़ रहा है। छतें टपक रही हैं और आसपास कूड़े-कचरे का अंबार लगा है। केंद्र में लगे मेडिकल उपकरण धूल फांक रहे हैं और धीरे-धीरे बेकार होते जा रहे हैं। स्थानीय निवासी राम प्रवेश साह बताते हैं कि जब इस केंद्र में चिकित्सक और कर्मचारी नियमित रूप से आते थे। तब यहां हर तरह की सुविधा उपलब्ध थी। दूर-दराज से लोग इलाज के लिए आते थे। लेकिन अब यह जगह पूरी तरह उपेक्षित है।
हालांकि केंद्र में चिकित्सक और कर्मचारियों की तैनाती की गई है। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि वे कभी-कभार ही यहां नजर आते हैं। अधिकांश समय वे खानापूर्ति कर चले जाते हैं। एक अन्य निवासी श्याम सुंदर ने बताया कि जब से समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। तब से इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। चिकित्सक और कर्मचारी अब वहां ड्यूटी करने में ज्यादा रुचि लेते हैं।
इस मामले में चिकित्सा प्रभारी डॉ. वाल्मीकि प्रसाद का कहना है कि केंद्र पर चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है और वे मरीजों का इलाज करते हैं। हालांकि उनकी यह दलील स्थानीय लोगों को खोखली लगती है। लोगों का कहना है कि केंद्र की बदहाली के लिए जिम्मेदार सरकारी उदासीनता और प्रशासनिक लापरवाही है।
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को फिर से सुचारु किया जाए। उनकी मांग है कि यहां नियमित रूप से चिकित्सक और कर्मचारी तैनात किए जाएं। उपकरणों की मरम्मत की जाए और केंद्र की साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाए। एक पीड़ित अनीता देवी ने कहा कि अगर जल्द ही इसकी स्थिति नहीं सुधारी गई तो यह केंद्र पूरी तरह भूतबंगले में बदल जाएगा।
बहरहाल, इस्लामपुर का यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कभी क्षेत्र के लोगों के लिए उम्मीद की किरण था। लेकिन आज यह सरकारी उपेक्षा का शिकार होकर खंडहर बनने की ओर अग्रसर है। यदि समय रहते प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो यह महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुविधा पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। अब देखना यह है कि क्या स्थानीय प्रशासन इस केंद्र को फिर से जीवंत करने के लिए कदम उठाएगा या यह बदहाली की कहानी यूं ही चलती रहेगी।
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