बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सशक्तीकरण के लिए किए जा रहे नवाचारों ने अब देश के अन्य राज्यों का ध्यान खींचना शुरू कर दिया है। बिहार राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (जीविका) के तहत विकसित किए गए आजीविका मॉडल्स की गूंज अब मणिपुर तक पहुंच चुकी है। इसी कड़ी में मणिपुर स्टेट रूरल लाइवलीहुड मिशन (MSRLM) की एक उच्चस्तरीय टीम ने बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में अध्ययन भ्रमण किया। यह यात्रा दो राज्यों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान और बेहतर आजीविका मॉडल्स को अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।
भ्रमण का शुभारंभ सिलाव प्रखंड से हुआ, जहां मणिपुर की टीम ने जीविका दीदियों द्वारा संचालित मसाला उद्योग को नजदीक से देखा। मसाले के उत्पादन, पैकेजिंग और विपणन के व्यावसायिक मॉडल ने टीम को गहरे तक प्रभावित किया। जीविका दीदियों ने अपनी कहानियां साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने जीविका के सहयोग से न केवल अपनी आजीविका को सशक्त बनाया, बल्कि बाजार में अपनी एक अलग पहचान भी स्थापित की। मणिपुर की टीम ने दीदियों की मेहनत और जीविका के इस मॉडल की स्केलेबिलिटी की खूब सराहना की।
राजगीर प्रखंड के पथरौरा पंचायत में जीविका द्वारा संचालित कस्टम हायरिंग सेंटर का दौरा मणिपुर टीम के लिए एक और प्रेरणादायक अनुभव रहा। इस सेंटर पर किसानों को उन्नत कृषि यंत्र किराए पर उपलब्ध कराए जाते हैं, जिससे खेती की लागत में कमी आती है और उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है। सेंटर के प्रबंधन, बुकिंग प्रक्रिया, मशीनों के रखरखाव और किसानों की सहभागिता की कार्यशैली ने मणिपुर की टीम को खासा प्रभावित किया। टीम के सदस्यों ने इस मॉडल को अपने राज्य में लागू करने की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया और इसकी उपयोगिता को सराहा।
जीविका के इंटीग्रेटेड फार्मिंग क्लस्टर के तहत स्थापित शेड नेट हाउस ने भी मणिपुर की टीम का ध्यान आकर्षित किया। शेड नेट तकनीक के जरिए किसान अब कम जोखिम में अधिक उत्पादन कर रहे हैं। जिससे उनकी आय में स्थायी वृद्धि हो रही है। इस तकनीक के तहत सब्जियों और अन्य फसलों की खेती को देखकर मणिपुर की टीम ने इसे अपने राज्य के लिए एक व्यवहारिक मॉडल माना।
भुई पंचायत में निर्मल जीविका मत्स्य उत्पादक समूह की महिलाओं ने मणिपुर की टीम के साथ अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि तालाब आधारित मत्स्य पालन ने उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाया है। मणिपुर की टीम ने मत्स्य पालन की विभिन्न गतिविधियों जैसे बीज संचयन, तालाब प्रबंधन, पोषण प्रबंधन और विपणन प्रणालियों के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की। भुई पंचायत का यह मॉडल मणिपुर की टीम के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।
इस अध्ययन भ्रमण के दौरान जीविका के प्रशिक्षण पदाधिकारी शिव शंकर प्रसाद, आजीविका विशेषज्ञ नित्यानंद कुमार और एसईडब्लू अर्चना कुमारी ने मणिपुर की टीम को हर गतिविधि की बारीकियों से अवगत कराया। उन्होंने टीम के सवालों का विस्तार से जवाब दिया और जीविका मॉडल्स की सफलता के पीछे के तकनीकी और सामुदायिक पहलुओं को स्पष्ट किया।
मणिपुर स्टेट रूरल लाइवलीहुड मिशन की इस यात्रा ने बिहार के जीविका मॉडल्स की ताकत को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर किया। मणिपुर की टीम ने इन मॉडल्स को अपने राज्य में लागू करने की दिशा में गंभीरता दिखाई। यह भ्रमण न केवल दो राज्यों के बीच सहयोग का प्रतीक बना, बल्कि ग्रामीण भारत में आजीविका सशक्तीकरण के लिए नए अवसरों का द्वार भी खोला।
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