बिहार में फिर गिरा पुल.. जिम्मेदार कौन.. ठेकेदार या करप्ट सिस्टम ?

बिहार में सरकारी ठेके में करप्शन कोई नई बात नहीं है.. बिहार में लोगों का भी मानना है कि सरकारी निर्माण कार्य हो रहा है तो 50 प्रतिशत से ज्यादा पैसा कमीशन और करप्शन की भेंट चढ़ जाती है और 50 प्रतिशत पैसे से निर्माण कार्य होता है। लेकिन अब तो ऐसा लगने लगा है कि बिहार में कोई भी काम का 75 प्रतिशत पैसा ठेकेदार, भ्रष्ट अफसरों की पॉकेट में चल जाता है और बाकी 25 प्रतिशत के फंड से निर्माण होता है। ये बात इसलिए कह रहा हूं कि बिहार में अलग-अलग जगहों से कभी निर्माणाधीन पुल, तो कभी उद्घाटन होने के बाद पुल के गिरने की घटना सामने आते रहती है. अब एक बार फिर एक पुल के गिरने का वाक्या सामने आया है ।

क्या है मामला
दरअसल, भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत आमस-दरभंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है। जिस पर 119 डी नाम से पुल बन रहा है । ये पुल जहानाबाद जिले के ओकरी थाना क्षेत्र के शादीपुर रतन बिगहा गांव के पास बन रहा है। लेकिन वो पुल जिस पर लाखों गाड़ियां रोजाना चलती वो भरभराकर गिर गया.. जिसके बाद पूरे इलाके में अफरातफरी का माहौल हो गया और सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में स्थानीय लोग वहां पहुंच गये.

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घटिया मैटेरियल का इस्तेमाल
जहानाबाद में निर्माणाधीन पुल के गिरने के बाद बड़ी संख्या में वहां पर स्थानीय लोग पहुंचे। उनसे नालंदा लाइव की टीम ने बात की औऱ पुल गिरने की वजह को जानने की कोशिश की। जिस पर स्थानीय लोगों ने नालंदा लाइव को बताया कि पुल के निर्माण में एकदम घटिया क्वालिटी का मैटिरियल इस्तेमाल किया जा रहा था। जितनी मात्रा में सीमेंट दिया जाना चाहिए उतनी मात्रा में इस्तेमाल नहीं किया गया। जिसकी वजह से ये हादसा हुआ।

बिहार का पहला एक्सप्रेस-वे
आपक बता दें कि आमस-दरभंगा एक्सप्रेस-वे .. बिहार का पहला एक्सप्रेस-वे है, जिसे मोदी सरकार ने साल 2021 में हरी झंडी दिखाई थी. 189 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण लगभग 6000 करोड़ की लागत से किया जा रहा है. जिसका टारगेट तो साल 2024 में ही पूरा करना था लेकिन जमीन अधिग्रहण में दिक्कत की वजह से अब तक ये कंप्लीट नहीं हो पाया है।

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