अब मोबाइल से ई-वोटिंग कराने की दिशा में आगे बढ़ा बिहार

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार ने मतदान प्रक्रिया को और अधिक समावेशी और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने की दिशा में ई-वोटिंग कराने की एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट, एंड्रॉयड और आईओएस आधारित स्मार्टफोन के माध्यम से ई-वोटिंग की सुविधा शुरू करने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। इस पहल का उद्देश्य मतदान को बढ़ावा देना और उन मतदाताओं को सुविधा प्रदान करना है जो विभिन्न कारणों से मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच पाते।

बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने ई-वोटिंग को मॉडल के रूप में लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। जून 2025 में बिहार की छह नगर निकायों में होने वाले आम चुनाव में इस तकनीक का प्रयोगात्मक उपयोग किया जा सकता है। आयोग ने इसके लिए कई तकनीकी पहलुओं की गहन पड़ताल शुरू कर दी है। ई-वोटिंग को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के विकल्प के रूप में पेश किया जाएगा। जिससे मतदाताओं को अधिक लचीलापन मिलेगा।

आयोग ने पहले भी मतदान और मतगणना में आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक एप्लिकेशन और मशीनों का सफलतापूर्वक उपयोग कर देश में मिसाल कायम की है। अब ई-वोटिंग के जरिए बिहार एक बार फिर तकनीकी नवाचार में अग्रणी बनने की राह पर है।

ई-वोटिंग को कानूनी रूप देने के लिए बिहार सरकार ने बिहार नगरपालिका निर्वाचन नियमावली 2007 के नियम 85 में संशोधन किया है। इस संशोधन के तहत राज्य निर्वाचन आयोग को ई-वोटिंग कराने का अधिकार प्राप्त हो गया है। इस अधिकार के आधार पर आयोग ने भारत सरकार की संस्था सी-डैक (C-DAC) के सहयोग से ई-वोटिंग प्रणाली विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

जानकारी के अनुसार ई-वोटिंग की सुविधा विशेष रूप से उन मतदाताओं के लिए होगी जो बुजुर्ग हैं और मतदान केंद्र तक पहुंचने में असमर्थ हैं। बीमार हैं और शारीरिक रूप से बूथ तक नहीं जा सकते। दिव्यांग हैं और जिन्हें मतदान केंद्र तक पहुंचने में कठिनाई होती है।

हालांकि, ई-वोटिंग का अधिकार प्राप्त करने वाले मतदाता अंतिम समय में अपना निर्णय बदलकर मतदान केंद्र पर जाकर भी वोट डाल सकेंगे। इस प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए सभी मतदान एक अलग सर्वर पर रिकॉर्ड किए जाएंगे।

ई-वोटिंग प्रक्रिया में जिला निर्वाचन पदाधिकारी (जिलाधिकारी) की अहम भूमिका होगी। वे मतदाताओं की पात्रता की जांच, तकनीकी प्रक्रिया की निगरानी और मतदान की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि ई-वोटिंग की सफलता न केवल बिहार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकती है। यह प्रणाली न केवल मतदान को अधिक सुलभ बनाएगी, बल्कि तकनीकी नवाचार के जरिए मतदाता भागीदारी को भी बढ़ाएगी। आयोग का लक्ष्य है कि इस प्रणाली को भविष्य में बड़े पैमाने पर लागू किया जाए, जिससे हर मतदाता अपनी सुविधा के अनुसार वोट डाल सके।

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