बिहार शरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह प्रखंड हरनौत में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति बदहाल है। नालंदा जिले के सोराडीह पंचायत के बेढ़ना गांव में स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय इसका जीता-जागता उदाहरण है। इस स्कूल में 58 बच्चे नामांकित हैं। लेकिन संसाधनों का घोर अभाव शिक्षा के स्तर को प्रभावित कर रहा है।
स्कूल का ढांचा बेहद जर्जर है। एकमात्र कमरा है। जिसकी छत करकट से बनी है और उससे सटा एक बरामदा ही स्कूल का पूरा भवन है। इसी एक कमरे में पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों की पढ़ाई होती है। कमरे का आधे से अधिक हिस्सा टूटा-फूटा है। जिसके कारण बारिश या तेज धूप में पढ़ाई करना मुश्किल हो जाता है। अवकाश के दिन स्कूल की स्थिति ऐसी होती है कि कोई विश्वास ही नहीं कर सकता कि यहां पढ़ाई होती होगी।
स्कूल में चार शिक्षक हैं। उनमें प्रभारी प्रधानाध्यापक भी शामिल हैं। लेकिन संसाधनों की कमी के कारण शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। मिड-डे-मील की व्यवस्था भी बरामदे में ही की जाती है, जहां खाना बनाया जाता है। कमरे में कुछ बच्चे पढ़ते हैं। जबकि बाकी बरामदे में बैठकर समय काटते हैं। स्कूल के जरूरी दस्तावेज, मिड-डे मील के उपकरण और अनाज भी उसी कमरे में रखे जाते हैं, जिससे जगह की कमी और अव्यवस्था बनी रहती है।
पानी की व्यवस्था के लिए बोरिंग तो की गई है। लेकिन वह अभी तक चालू नहीं हुई है। शौचालय भी बना है, पर वह भी उपयोग के लायक नहीं है। इससे खासकर महिला कर्मियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। नल-जल योजना के तहत पानी की आपूर्ति की जाती है, लेकिन यह भी पूरी तरह से नियमित नहीं है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में शिक्षा की ऐसी स्थिति शर्मनाक है। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल में न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही बच्चों के लिए उचित व्यवस्था। कई बार स्थानीय प्रशासन को इसकी शिकायत की गई, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्कूल भवन के जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। लेकिन बजट की कमी के कारण काम शुरू नहीं हो सका है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि संसाधनों की कमी के कारण शिक्षकों को भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
यह स्थिति तब है, जब बिहार सरकार शिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बड़े दावे करती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह प्रखंड में प्राथमिक शिक्षा की ऐसी दयनीय स्थिति न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सरकारी योजनाएं जमीनी स्तर पर कितनी प्रभावी हैं। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस स्कूल को तत्काल बेहतर संसाधनों से लैस किया जाए, ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
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