अब ऐसे निजी कोचिंग संस्थान पर गाज गिरना तय, जानें कड़े नियम

हिलसा (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में नियमों को ताक पर रखकर चल रहे बेलगाम कोचिंग संस्थानों पर अब शिक्षा विभाग ने नकेल कसने की ठोस तैयारी कर ली है। बिहार कोचिंग संस्थान नियंत्रण और विनियमन अधिनियम 2010 के तहत सभी कोचिंग और ट्यूटोरियल क्लासों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। इस बार विभाग पूरी सख्ती के साथ नियमों का पालन कराने को प्रतिबद्ध है, ताकि कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर लगाम लगाई जा सके।

शिक्षा विभाग के निर्देश पर जिला शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि कोचिंग संस्थानों को रजिस्ट्रेशन के लिए डीईओ नालंदा के नाम से 5 हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट जमा करना होगा। इसके साथ ही कोचिंग संस्थानों को तय मानकों के अनुसार सुविधाएं प्रदान करना अनिवार्य होगा।

इन मानकों में प्रत्येक कक्षा का न्यूनतम 300 वर्ग फुट का कारपेट एरिया, समुचित उपकरण, बेंच,डेस्क, पर्याप्त रोशनी, शुद्ध पेयजल, स्वच्छता, अग्निशमन यंत्र, आकस्मिक चिकित्सा सुविधा, साइकिल या वाहन पार्किंग की व्यवस्था शामिल है। इसके अलावा शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता, नामांकन फीस, पाठ्यक्रम पूरा करने की अवधि और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी जैसे पहलुओं पर भी ध्यान देना होगा।

डीईओ ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के बाद सभी मानकों को पूरा करने वाले कोचिंग संस्थानों को तीन वर्ष की अवधि के लिए वैध रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। बिना रजिस्ट्रेशन के किसी भी कोचिंग संस्थान को संचालित करने की अनुमति नहीं होगी।

हालांकि जिले में हजारों कोचिंग संस्थान संचालित हो रहे हैं। लेकिन अब तक मात्र 38 संस्थानों ने ही रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है। यह स्थिति तब है, जब वर्ष 2010 में ही कोचिंग एक्ट लागू कर दिया गया था। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर अमल करने की जरूरत नहीं समझी।

स्थानीय अभिभावकों और आम लोगों का कहना है कि जिले में कोचिंग संस्थानों का संचालन पूरी तरह अनियंत्रित हो चुका है। कई कोचिंग संस्थान बिना रजिस्ट्रेशन, बिना योग्य शिक्षकों और बिना किसी सुविधा के संचालित हो रहे हैं। न तो ये संस्थान टैक्स देते हैं और न ही किसी नियम का पालन करते हैं।

कुकुरमुत्तों की तरह उग आए इन कोचिंग सेंटरों ने अभिभावकों और छात्रों को परेशान कर रखा है। कई जगह तो छोटे-छोटे कमरों में सैकड़ों छात्रों को ठूंसकर पढ़ाया जाता है। जहां न तो बैठने की पर्याप्त जगह है और न ही अन्य बुनियादी सुविधाएं।

शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पहले रजिस्ट्रेशन का निर्देश तो जारी किया गया था, लेकिन इसकी अनदेखी होती रही। अब विभाग ने सख्त रुख अपनाया है और सभी कोचिंग संस्थानों की जांच शुरू कर दी गई है। नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

स्थानीय लोगों का कहना है कि कोचिंग संस्थानों की मनमानी और अव्यवस्था से छात्रों का भविष्य खतरे में है। अभिभावकों ने मांग की है कि शिक्षा विभाग न केवल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को सख्ती से लागू करे, बल्कि नियमित जांच भी करे ताकि कोचिंग संस्थान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सुविधाएं प्रदान करें।

बहरहाल, यह कदम निश्चित रूप से जिले के कोचिंग संस्थानों को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकता है, बशर्ते इसे जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। शिक्षा विभाग की इस पहल से नालंदा के छात्रों और अभिभावकों को राहत मिलने की उम्मीद है, जो लंबे समय से कोचिंग संस्थानों की मनमानी से परेशान हैं।

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