बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहारशरीफ प्रखंड के विजवनपर रेल गेट संख्या 41 के पास ग्रामीणों ने रेल प्रशासन के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए एक अनोखा कदम उठाया है। रेल प्रशासन द्वारा 100 साल पुराने मार्ग को बंद किए जाने के विरोध में ग्रामीणों ने ‘अंडरपास नहीं तो वोट नहीं’ का बैनर लगाकर वोट बहिष्कार की चेतावनी दी है। यह बैनर बिहारशरीफ और राजगीर विधानसभा क्षेत्र की आम जनता की ओर से लगाया गया है, जिसमें रेल प्रशासन पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया गया है।
दरअसल विजवनपर रेल गेट के पास स्थित पुराना मार्ग स्थानीय लोगों के लिए दैनिक आवागमन का प्रमुख साधन था। इस मार्ग का उपयोग न केवल ग्रामीण, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लोग भी व्यापार, शिक्षा और अन्य आवश्यक कार्यों के लिए करते थे। लेकिन हाल ही में रेल प्रशासन ने इस मार्ग को बंद कर दिया, जिससे ग्रामीणों को लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है। इससे उनकी दिनचर्या प्रभावित हो रही है और समय व धन की बर्बादी हो रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि रेल प्रशासन ने इस निर्णय को लागू करने से पहले न तो स्थानीय लोगों से कोई सलाह ली और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान की। उनकी मांग है कि इस मार्ग के स्थान पर एक अंडरपास का निर्माण किया जाए, जो उनकी आवागमन की समस्या को हल कर सके।
ग्रामीणों द्वारा लगाए गए बैनर में साफ तौर पर लिखा गया है कि “रेल प्रशासन ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए 100 साल पुराने मार्ग को बंद कर दिया है। जब तक अंडरपास का निर्माण नहीं होगा, तब तक आने वाले सभी चुनावों में वोट का बहिष्कार किया जाएगा- निवेदक: बिहारशरीफ और राजगीर विधानसभा की आम जनता”।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि मार्ग बंद होने से उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर गहरा असर पड़ा है। स्कूल जाने वाले बच्चों, किसानों और छोटे व्यापारियों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। एक स्थानीय निवासी रामप्रसाद महतो ने बताया, “हमारे लिए यह मार्ग जीवनरेखा की तरह था। अब हमें 5-6 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है, जिससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी होती है। रेल प्रशासन को हमारी परेशानी समझनी चाहिए।”
महिलाओं का कहना है कि वैकल्पिक रास्तों पर सुरक्षा की कमी और खराब सड़कों के कारण उन्हें रात में यात्रा करने में डर लगता है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि रेल प्रशासन ने इस मार्ग को बंद करने का निर्णय बड़े ठेकेदारों और रेलवे परियोजनाओं के हित में लिया है, जिसमें स्थानीय लोगों की जरूरतों को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।
इस मुद्दे पर रेल प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार रेल अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन से इस समस्या के समाधान के लिए संपर्क किया, लेकिन उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इस निराशा ने उन्हें वोट बहिष्कार जैसे कठोर कदम की ओर प्रेरित किया है।
इस मुद्दे ने स्थानीय राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। बिहारशरीफ और राजगीर विधानसभा क्षेत्र के कुछ नेताओं ने ग्रामीणों के समर्थन में आवाज उठाई है और रेल प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, कुछ लोग इसे आगामी चुनावों से पहले एक राजनीतिक दांव के रूप में भी देख रहे हैं।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार ने कहा कि “यह केवल एक मार्ग का सवाल नहीं है, यह ग्रामीण भारत की उपेक्षा का प्रतीक है। अगर सरकार और प्रशासन समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं करते, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।”
ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी, वे अपने वोट बहिष्कार के फैसले पर अडिग रहेंगे। यह बैनर केवल एक विरोध का प्रतीक नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत की उन अनसुनी आवाजों का प्रतिनिधित्व करता है, जो अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही हैं।
क्या रेल प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाएगा और अंडरपास का निर्माण शुरू करेगा? या फिर यह मामला और तूल पकड़ेगा? आने वाले दिन इस आंदोलन की दिशा तय करेंगे। फिलहाल विजवनपर के ग्रामीणों का यह नारा आसमान में गूंज रहा है- “अंडरपास नहीं तो वोट नहीं!”
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